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शादी के बाद कपल को भूलकर भी नही करनी चाहिए ऐसी हरकतें, सास-ससुर पर पड़ता है गलत असर

शादी करने वाले दो लोगों का जीवन हमेशा बदल जाता है, इसमें कोई शक नहीं है। शायद इसलिए विवाह को हमेशा जीवन का एक नया अध्याय कहा जाता है। यद्यपि, पति-पत्नी के अलावा इन दोनों के माता-पिता भी इस नवाचार का लाभ उठाते हैं।
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शादी करने वाले दो लोगों का जीवन हमेशा बदल जाता है, इसमें कोई शक नहीं है। शायद इसलिए विवाह को हमेशा जीवन का एक नया अध्याय कहा जाता है। यद्यपि, पति-पत्नी के अलावा इन दोनों के माता-पिता भी इस नवाचार का लाभ उठाते हैं।

जब एक घर से एक लड़की चली जाती है, तो दूसरे घर में एक नया आदमी आता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात पर ध्यान देते हैं। साथ ही, जो बातें सास-ससुर को मुश्किल बना सकती हैं, उन पर भी कम ध्यान दिया जाता है। पति-पत्नी अक्सर इसके लिए उत्तरदायी होते हैं। आप भी मैरिड कपल की गलतियों के बारे में बताते हैं जो उनके सास-ससुर को परेशान करते हैं।

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बच्चों की जिम्मेदारी डाल देना

यह सच है कि सास-ससुर अपने पोते-पोते या नाती-नातिन के साथ समय बिताना या उनका ख्याल रखना पसंद करते हैं, लेकिन इसका मतलब बिल्कुल नहीं कि आप बच्चे की पूरी जिम्मेदारी उन्हें दे दें। आपको समझना होगा कि आपके माता-पिता आपको पाल-पोसकर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर चुके हैं और अब आपकी बारी है कि ये काम करें।

तुम्हारे बच्चों का नैनी नहीं है। तो हर योजना बनाते समय यह नहीं कहना चाहिए कि 'अरे बच्चे तो मेरे मम्मी-पापा संभाल लेंगे'। उन्हें भी अपनी जिंदगी है, इसलिए उसे नियंत्रित या नियंत्रित करने की कोशिश न करें।

जिम्मेदारियों में बांधना

घर का बिल भर नहीं है, पापा, देखो...। मम्मी, काम करने वाली एक महिला इतने बजे आ जाएगी, इसलिए आप घर पर रहेंगे। यह सामान खत्म हो गया है, आप इसे लौटा देंगे...। कपल्स अक्सर अपने सास-ससुर पर घर की बहुत सी जिम्मेदारियां डाल देते हैं, बिना बहुत सोचे-समझे। ऐसा होने पर उनकी जिंदगी बंध सी जाती है और काम मानो बढ़ जाता है।

आप दोनों काम करते हैं और आपके सास-ससुर घर पर हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपनी पूरी ज़िम्मेदारी उन पर छोड़ देते हैं। ये न भूलें कि आप भी घर की जिम्मेदारी है। जिम्मेदारियों को पूरा करना सिर्फ खर्च करना या देना नहीं हो सकता।

घर के काम करवाना

कई घरों में देखा जाता है कि सास-ससुर को दिनभर की घरेलू कामों की जिम्मेदारी भी दी जाती है, सिर्फ इतना कहकर कि वे क्या करते हैं। यदि कोई खानेवाला, बर्तनवाला या झाड़ू-पोछेवाला नहीं आता, तो इन-लॉज में सारे काम कर दिए जाते हैं।

यह भी देखने को मिलता है कि हाउस हेल्प के अभाव में जोड़ा लड़की के घर रहने चला जाता है, जो वहां की जिम्मेदारी बढ़ाता है। यहां ये समझना जरूरी है कि सास-ससुर को इमरजेंसी केस में मदद करना अपनी जगह है और इसे हमेशा नहीं करना चाहिए। वो कर्मचारी नहीं हैं, जिन्हें मर्जी से व्यवहार किया जाए या काम पकड़ा जाए।

आर्थिक बोझ डालना

वास्तव में, एक परिवार में सभी सदस्यों को मिलकर घर चलाना चाहिए। लेकिन अगर कपल अपने शौक पूरे करने में पूरा पैसा लगाकर फिर अक्सर एक-दूसरे के माता-पिता से पैसे मांगता है, तो ये बिल्कुल अस्वीकार्य है। कपल को पता होना चाहिए कि ये उनकी भी मेहनत का पैसा है, जिसके सहारे वे बुढ़ापे में स्वतंत्र जीवन जीना चाहते हैं।