home page

बादशाह की मौत होने के बाद उनकी रानियां क्या करती थी काम, ना चाहते हुए भी करना पड़ता था ये काम

मुगल साम्राज्य की चमक-दमक और शान-शौकत इतिहास में विशेष रूप से दर्ज है। बादशाह और रानियों की जिंदगी आलीशान होती थी जहां महलों से लेकर राज्य के कोने-कोने तक उनकी हुकूमत चलती थी।
 | 
mughal-queens-life-after-death
   

मुगल साम्राज्य की चमक-दमक और शान-शौकत इतिहास में विशेष रूप से दर्ज है। बादशाह और रानियों की जिंदगी आलीशान होती थी जहां महलों से लेकर राज्य के कोने-कोने तक उनकी हुकूमत चलती थी। बादशाह अक्सर अपनी शक्ति और संपत्ति का प्रदर्शन करते थे लेकिन रानियों का जीवन उनके पीछे ही उतना ही गौरवशाली और कठिन दोनों रहा करता था।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

रानियों की जिंदगी में बदलाव

मुगल बादशाहों के निधन के बाद रानियों की जिंदगी में अक्सर बड़ा परिवर्तन आ जाता था। उदाहरण के लिए, हमीदा बानो बेगम ने हुमायूँ की मृत्यु के बाद न केवल उनके मकबरे का निर्माण कराया बल्कि कई सामाजिक और धार्मिक कार्यों में भी सक्रिय रहीं। इसी तरह, नूरजहां, जिसे जहांगीर के शासन काल में अपार सत्ता प्राप्त थी उनके पति की मौत के बाद उन्हें सत्ता से दूर कर दिया गया था और उन्होंने अपने जीवन के अंतिम वर्ष लाहौर में अकेले बिताए।

हरम की देखभाल और सामाजिक योगदान

राजा के निधन के बाद मुगल रानियां अक्सर हरम की देखभाल और धार्मिक-सामाजिक कार्यों में अपना जीवन बिताती थीं। ये रानियां, जिन्होंने कभी राज्य के महत्वपूर्ण निर्णयों में हिस्सा लिया था, अपने जीवन के शेष भाग में अधिक साधारण और धार्मिक जीवनशैली अपनाती थीं। इसके अलावा, मुगल हरम में कई हिंदू रानियां भी थीं जो हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अपना जीवन सादगी से बिताती थीं।

रानियों की सत्ता और सामाजिक असर में कमी

बादशाह की मौत के बाद ज्यादातर रानियों की ताकत और रुतबे में बहुत कमी आ जाती थी। यह एक सामान्य घटना थी क्योंकि नए शासक के उदय के साथ ही पुरानी सत्ता के प्रतीकों को किनारे कर दिया जाता था। इस परिवर्तन ने रानियों को अधिक व्यक्तिगत और आध्यात्मिक जीवन की ओर मोड़ दिया था, जहां वे अपने शेष जीवन को अधिक सादगी और गोपनीयता के साथ बिताती थीं।