पेशाब का प्रेसर होने के बाद रोक लेते है मूत्र तो सावधान, प्रेशर रोकने से शरीर के इन अंगो में हो सकती है दिक्कत
आज के समय में मोटापा न केवल एक स्वास्थ्य समस्या है बल्कि यह किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंग पर भी गंभीर दुष्प्रभाव डालता है। एसजीपीजीआइ के नेफ्रोलाजी विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर नारायण प्रसाद और प्रोफेसर धर्मेंद्र भदौरिया के अनुसार मोटापा कम करने से किडनी पर दुष्प्रभाव की आशंका 60-70 प्रतिशत तक कम हो जाती है।
यह जानकारी विश्व किडनी दिवस के अवसर पर प्रकाश में आई है। विश्व किडनी दिवस के मौके पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम और वाकथान से लोगों में किडनी के स्वास्थ्य के प्रति समझ बढ़ी है। एसजीपीजीआइ द्वारा दी गई यह जानकारी न केवल उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो किडनी की समस्या से जूझ रहे हैं बल्कि स्वस्थ व्यक्तियों के लिए भी जागरूकता बढ़ाने वाली है।
उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित शुगर
किडनी की खराबी के प्रमुख कारणों में उच्च रक्तचाप और अनियंत्रित शुगर को माना गया है। यह दोनों ही स्थितियाँ किडनी की समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। इस दिशा में जागरूकता और सही उपचार समय पर प्रारंभ करने से किडनी की सुरक्षा की जा सकती है।
पेशाब न रोकें
पेशाब रोकने की आदत को स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं माना जाता। यूरोलाजी एवं किडनी ट्रांसप्लांट विभाग के प्रमुख प्रो. एमएस अंसारी ने बताया कि पेशाब रोकने से मूत्राशय कमजोर होता है और किडनी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए पेशाब लगने पर तत्काल जाने की सलाह दी जाती है।
किडनी खराब होने पर उपाय
किडनी खराब होने पर डायलिसिस और प्रत्यारोपण ही दो मुख्य उपाय हैं। इन उपचारों की ओर बढ़ने से पहले यह समझना जरूरी है कि संक्रमण की आशंका इन स्थितियों में अधिक होती है। प्रत्यारोपण के बाद नियमित दवाएं और डॉक्टर के संपर्क में रहने से प्रत्यारोपित किडनी लंबे समय तक कार्य करती है।
निवारण और सुरक्षा
संतुलित खानपान और नियमित व्यायाम करके किडनी की सुरक्षा की जा सकती है। ब्लड प्रेशर 130-80 से नीचे और एचबीएवनसी सात से कम रखना चाहिए। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान भी किडनी और रक्तदाब पर विशेष ध्यान देना चाहिए।