Whatsapp की इस हरकत से Airtel और Jio को भारी नुकसान, सरकार से Whatsapp के खिलाफ कार्रवाई की हुई मांग
इंटरनेट के आगमन ने दुनिया भर में संचार के तरीकों में व्यापक परिवर्तन ला दिया है. जहां पहले लोग कॉलिंग और मैसेजिंग के लिए पूरी तरह से टेलिकॉम कंपनियों पर निर्भर थे वहीं अब इंटरनेट के जरिए वीडियो कॉलिंग, मैसेजिंग और वॉइस कॉलिंग की जा रही है. यह आर्टिकल उन बदलावों और चुनौतियों पर है जो टेलिकॉम उद्योग को इस नई तकनीक के उदय के कारण सामना करना पड़ रहा है.
टेलिकॉम से इंटरनेट की ओर स्थानांतरण
आज के युग में उपभोक्ता तेजी से उन प्लेटफार्मों की ओर रुख कर रहे हैं जो इंटरनेट आधारित संचार सेवाएं दे रहे हैं जैसे कि WhatsApp, Telegram और अन्य. ये सेवाएं न केवल सुविधाजनक हैं बल्कि काफी किफायती भी हैं, क्योंकि ये आमतौर पर मुफ्त में या नाममात्र की लागत पर मिलती हैं. इसके विपरीत पारंपरिक टेलिकॉम सेवाएं अक्सर महंगी पड़ती हैं.
टेलिकॉम कंपनियों को हो रहे नुकसान
जैसे-जैसे लोग व्हाट्सएप और अन्य सेवाओं की ओर बढ़ रहे हैं टेलिकॉम कंपनियां जैसे कि एयरटेल, जियो और वोडाफोन-आइडिया अपने राजस्व में गिरावट देख रही हैं. इसका मुख्य कारण है कि इंटरनेट आधारित सेवाओं के उपयोग से उनके ट्रेडिशनल कॉलिंग और मैसेजिंग सेवाओं की मांग में कमी आई है.
सरकारी राजस्व पर असर
जब उपभोक्ता टेलिकॉम सेवाओं का उपयोग कम करते हैं, तो इसका प्रत्यक्ष प्रभाव सरकारी राजस्व पर भी पड़ता है क्योंकि टेलिकॉम कंपनियां सरकार को विभिन्न प्रकार के टैक्स और शुल्क देती हैं. इसके कम होने से सरकार के राजस्व में भी कमी आती है.
कानूनी ढांचे की आवश्यकता
टेलिकॉम कंपनियां और सरकार दोनों ही इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इंटरनेट आधारित मैसेजिंग और कॉलिंग सेवाओं को भी कानूनी ढांचे के तहत लाया जाए, जिससे इन पर नियंत्रण रखा जा सके और राजस्व की हानि को कम किया जा सके. इससे इन सेवाओं की गुणवत्ता और सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी.
ग्राहकों पर असर
अगर नए कानून लागू होते हैं तो इसका प्रभाव सीधे तौर पर ग्राहकों पर भी पड़ सकता है. फ्री में मिलने वाली सेवाएँ अब शुल्कित हो सकती हैं, जिससे उपभोक्ताओं की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है.