एलोवेरा में तो 94 प्रतिशत पानी होता है फिर क्यों है इतना महंगा, जाने इसके पीछे की असली वजह
भारत (India) जो कि एक कृषि प्रधान देश (Agriculture-based Country) है में किसान (Farmers) पारंपरिक फसलों (Traditional Crops) के साथ ही बागवानी फसलों (Horticulture Crops) की खेती को भी महत्व देते हैं। हाल के वर्षों में कोरोना (COVID-19) के प्रकोप के बाद से एलोवेरा (Aloe Vera) की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई है खासकर आयुर्वेदिक दवाइयों (Ayurvedic Medicines) और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स (Cosmetic Products) के क्षेत्र में। इससे किसानों के लिए एलोवेरा की खेती को अपनाकर बंपर कमाई (Profitable Farming) का एक सुनहरा अवसर सामने आया है।
एलोवेरा खेती के लिए मिट्टी का चयन
एलोवेरा की खेती की शुरुआत में मिट्टी (Soil) का चुनाव एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लिए धूसर मिट्टी (Grey Soil) को उत्तम माना जाता है, जिसका पीएच मान (pH Value) लगभग 8.5 हो। खेती की शुरुआत में 15 से 20 टन गोबर (Manure) का उपयोग करके, खेत की उर्वरता (Fertility) में वृद्धि की जा सकती है। इसके अलावा, अच्छी जल निकासी (Water Drainage) की व्यवस्था होना चाहिए ताकि अतिरिक्त पानी से फसल को कोई हानि न पहुंचे।
एलोवेरा की खेती का सही समय और विधि
एलोवेरा की खेती वर्ष के अधिकांश समय में की जा सकती है, लेकिन जुलाई-अगस्त (July-August) का महीना इसके लिए विशेष रूप से उपयुक्त है। खेती के दौरान नाली और डोली के बीच 40 सेंटीमीटर (Spacing) की दूरी आवश्यक होती है, और प्रति हेक्टेयर 50,000 पौधे (Plant Density) लगाने चाहिए। इससे फसल की ग्रोथ (Growth) और उत्पादन (Production) में सहायता मिलती है।
लागत और कमाई
एलोवेरा की खेती में निवेश (Investment) के मुकाबले लाभ (Profit) काफी अधिक है। एक हेक्टेयर खेती से साल भर में 10 लाख रुपये तक की कमाई संभव है, जो कि 50,000 रुपये की प्रारंभिक लागत (Initial Cost) पर आधारित है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) गुजरात (Gujarat) राजस्थान (Rajasthan), महाराष्ट्र (Maharashtra) और हरियाणा (Haryana) के किसान इसकी खेती को व्यापक रूप से अपना रहे हैं।
एलोवेरा की खेती
एलोवेरा में 94 प्रतिशत पानी (Water Content) होता है, जबकि शेष में अमीनो एसिड्स (Amino Acids) और कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) मौजूद होते हैं। इसके पत्तों का रस (Aloe Juice) विभिन्न स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits) प्रदान करता है। एलोवेरा में पाए जाने वाले विशेष तत्वों जैसे बारबेलिन (Barbaloin), एलोइन (Aloin), और गेलिक एसिड (Gallic Acid) के कारण, इसके प्रोडक्ट्स की कीमत (Price) बाजार में अधिक होती है।