अंधे आदमी को तो दिखता नही फिर क्यों पहनते है काला चश्मा, जाने इसके पीछे की असली वजह
आंखें हमारे शरीर का एक अनमोल और अत्यंत नाजुक अंग होती हैं। इन्हीं के माध्यम से हम इस संसार की अद्भुत और विविधतापूर्ण सृष्टि का अवलोकन करते हैं। किसी की आंखों में विकार आ जाने पर ही उसे आंखों की असली कीमत का अहसास होता है।
आज की बदलती जीवनशैली में आंखों की समस्याएं एक आम बात हो गई हैं और इसी कारण अनेकों लोगों को चश्मे का सहारा लेना पड़ता है। विशेष रूप से नेत्रहीन और आंखों में दिक्कत वाले लोगों को काले चश्मे की सलाह दी जाती है। कभी सोचा है कि ऐसा क्यों है? आइए जानते हैं...
आंखें हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा हैं और इनकी सुरक्षा करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। काला चश्मा न केवल नेत्रहीनता से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी सूर्य की क्षतिकारक किरणों से बचाव का एक सरल और प्रभावी उपाय है। इसलिए अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए काले चश्मे का उपयोग करना एक बुद्धिमानी भरा कदम है।
काले चश्मे की आवश्यकता क्यों?
काला चश्मा न केवल एक फैशन एक्सेसरी है बल्कि नेत्र सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण साधन भी है। नेत्रहीन लोग जिनकी आंखों में मोतियाबिंद जैसे ऑपरेशन हुए हों या जिन्हें आंखों में इंफेक्शन की समस्या हो उन्हें डॉक्टर विशेष रूप से काला चश्मा पहनने की सलाह देते हैं। इसके अतिरिक्त धूप से बचने के लिए भी काले चश्मे का उपयोग किया जाता है।
नेत्रहीन व्यक्ति और काला चश्मा
नेत्रहीनता के कई स्तर होते हैं। कई बार व्यक्ति की आंखों में रंग पहचानने या चित्र बनाने की क्षमता समाप्त हो जाती है लेकिन उनकी आंखों का कुछ हिस्सा फिर भी काम करता रहता है। ऐसे में सूर्य की तीव्र रोशनी से उन्हें अधिक कष्ट हो सकता है जो आम व्यक्तियों की तुलना में अधिक पीड़ादायक होता है। इस पीड़ा से बचने के लिए काला चश्मा एक वरदान साबित होता है।
काले चश्मे का वैज्ञानिक महत्व
काला चश्मा सूर्य की उच्च ऊर्जा वाली विकिरणों को आंखों तक पहुंचने से रोकता है जिससे आंखों को जलन और दर्द से राहत मिलती है। ये चश्मे सूर्य की रोशनी में मौजूद हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से भी आंखों की रक्षा करते हैं। इसलिए नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए ये चश्मे न सिर्फ आरामदायक होते हैं बल्कि उनकी आंखों की सुरक्षा भी करते हैं।