Business Idea: खेती में 3500 रुपए की लागत से शुरू हो जाएगी हर महीने 75 हजार की कमाई, इस खेती को कर लिया तो हो जाएंगे मालामाल
तुमने सुना होगा कि खेती से बेहतर सौदा नहीं हो सकता, लेकिन अब जंगली गेंदे की खेती पर विचार किया जा रहा है, जो किसानों को नए पैसे दे सकती है। नई रिपोर्टों के अनुसार, कृषि में सुगंधित तेल की बढ़ती हुई मांग के साथ-साथ इसके कई अतिरिक्त उपयोगों से किसानों को बहुत लाभ मिल सकता है।
जंगली गेंदे की खेती के लिए आवश्यक तैयारी
ताकि किसान अच्छे उत्पाद प्राप्त कर सकें, जंगली गेंदे की खेती के लिए उपयुक्त तैयारी करना महत्वपूर्ण है। बीजों को अच्छे से जमाने के लिए लंबे गर्म दिन चाहिए। उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बुआई अक्टूबर में हो सकती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में नर्सरी मार्च से अप्रैल तक बनाई जा सकती है। पौधे 10 से 15 सेमी लंबे होने पर रोपण करना चाहिए।
मैदानी इलाकों में 3-4 सिंचाई की आवश्यकता होती है, जबकि पहाड़ी इलाकों में जंगली गेंदे की खेती वर्षा पर निर्भर करती है। खेती की तैयारी के अंतिम जुताई पर 10 से 12 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर मिलानी चाहिए। 100 किग्रा नाइट्रोन, 60 किग्रा फॉस्फोरस, और 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर दें, ताकि अच्छी पैदावार मिले।
फसल उत्पादन और कटाई
मैदानी क्षेत्रों में फसल की कटाई मार्च से अप्रैल में हो सकती है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में यह सितंबर से अक्टूबर में हो सकता है। पौधों को जमीन से लगभग 30 सेमी ऊपर हंसिया से काटना चाहिए। जंगली गेंदे की एक उन्नत किस्म, जैसे वन-फूल या सीमैप, हर्ब को आसानी से आसवन कर सकती है।
इससे हर्ब उत्पादन में वृद्धि होती है, जिससे किसानों को प्रति हेक्टेयर 300-500 क्विंटल हर्ब मिल सकता है, जिसमें 40-50 किलोग्राम तेल मिल सकता है।
आर्थिक मुनाफा
रिपोर्ट के अनुसार, जंगली गेंदे की फसल के उत्पादन में प्रति हेक्टेयर लगभग 3,500 रुपये का खर्च आता है और फसल को बेचकर लगभग 75,000 रुपये का नेट प्रॉफिट मिल सकता है। किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और खेती के लिए नए विकल्प मिल सकते हैं, इससे नए और फायदेमंद सौदे का एक नया रास्ता खुलता है।
इस नए खेती विचार के साथ, किसानों को नए मौके मिल रहे हैं जो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं और उन्हें नई तकनीकों के साथ अपने क्षेतीक्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चलने का मौका मिल सकता है। जंगली गेंदे की खेती न केवल एक आर्थिक सुधारक हो सकती है।
बल्कि इससे अनेक उपयोग भी हो सकते हैं, जो आर्थिक विकास में सहायक हो सकते हैं। इसलिए, किसानों को इस नए और लाभकारी सौदे का अवसर अवश्य देखना चाहिए और इसके सफलता की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए तैयार रहना चाहिए।