home page

खेत की खाली जगह पर ये पेड़ लगाकर हो सकते है मालामाल, बिना किसी एक्स्ट्रा मेहनत के होगी अच्छी कमाई

आज के समय में खेती (Farming) न सिर्फ पारंपरिक जीवनयापन का साधन है बल्कि एक बड़ी आय का जरिया (Source of income) भी बन चुका है। यदि आप भी खेती करके अच्छी खासी कमाई (Earnings) की राह तलाश रहे हैं तो आज हम आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प लेकर आए हैं।
 | 
/plant-this-tree-on-the-vacant-land
   

आज के समय में खेती (Farming) न सिर्फ पारंपरिक जीवनयापन का साधन है बल्कि एक बड़ी आय का जरिया (Source of income) भी बन चुका है। यदि आप भी खेती करके अच्छी खासी कमाई (Earnings) की राह तलाश रहे हैं तो आज हम आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प लेकर आए हैं। इस खेती के माध्यम से आप कुछ ही वर्षों में करोड़ों रुपये का टर्नओवर (Turnover) हासिल कर सकते हैं।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

प्रकृति का वरदान

पेड़ (Trees) हमारे जीवन के लिए ऑक्सीजन (Oxygen) का मुख्य स्रोत होने के साथ-साथ हमें फल, फूल, औषधि (Medicine) और लकड़ी (Wood) जैसी अनेक जरूरतें पूरी करते हैं। अब यह हरियाली के साथ ही कमाई का एक साधन भी बन चुके हैं। भारत में कई किसान (Farmers) अब वृक्ष खेती (Tree farming) की ओर अग्रसर हो रहे हैं जिससे उनके खाली पड़े खेतों में न केवल हरियाली बढ़ रही है बल्कि उनके आर्थिक भविष्य (Economic future) की भी सुरक्षा हो रही है।

सागौन

इन्हीं पेड़ों में से एक है सागौन (Teak), जिसकी लकड़ी की मांग (Demand) फर्नीचर उद्योग (Furniture industry) में लगातार बढ़ रही है। सागौन की लकड़ी का मुख्य आकर्षण इसकी दीमक प्रतिरोधक क्षमता (Termite resistance) है, जिसके चलते यह अन्य पेड़ों की लकड़ी की तुलना में अधिक मूल्य (Higher price) पर बिकती है।

सागौन की खेती का प्रकार

सागौन की खेती (Teak farming) के लिए विशेष तौर पर 6.50 से 7.50 पीएच मान (pH value) वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। एक एकड़ (Acre) जमीन में सागौन के पौधे लगाकर, किसान अंतरवर्ती खेती (Inter-cropping) के जरिए सब्जियों से अतिरिक्त आय (Additional income) भी प्राप्त कर सकते हैं। इससे उन्हें दोहरा लाभ (Dual benefit) होता है।

खेत की तैयारी और पौधरोपण

खेतों में सागौन के पौधे लगाने से पहले, जुताई (Ploughing) कर खरपतवार (Weeds) और कंकड़-पत्थर (Stones) को हटाना आवश्यक है। उसके बाद, उचित दूरी पर गड्ढे (Pits) खोदे जाते हैं और उनमें नीम की खली, जैविक खाद (Organic manure) डाली जाती है। इस प्रक्रिया के बाद, सागौन के पौधे लगाए जाते हैं और समय-समय पर सिंचाई (Irrigation) की जाती है।