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अब बसों मे भी यात्री कर सकेगे कैशलैस भुगतान ई-टिकटिंग प्रणाली होगी शुरू, HRTC मुख्यालय पहुंची 4500 नई एंड्रॉयड ई-टिकटिंग मशीनें, टैस्टिंग कार्य शुरू

HRTC बसों में अब कैशलैस किराया भुगतान की व्यवस्था की जा रही है। शिमला में बसों में कैशलैस भुगतान करने के लिए 4500 एंड्रॉयड ई-टिकटिंग मशीनें पहुंच चुकी हैं। मशीनों को शिमला डिपो में ट्रायल किया जा रहा है।
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HRTC बसों में अब कैशलैस किराया भुगतान की व्यवस्था की जा रही है। शिमला में बसों में कैशलैस भुगतान करने के लिए 4500 एंड्रॉयड ई-टिकटिंग मशीनें पहुंच चुकी हैं। मशीनों को शिमला डिपो में ट्रायल किया जा रहा है। यात्री एंड्रायड ई-टिकटिंग मशीनों से यूपीआई, फोन पे, पे.टी.एम. या भीम एप से किराया भुगतान कर सकते हैं और QR कोड स्कैन कर सकते हैं।

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किराया ATM कार्ड से या नकदी से भुगतान कर सकते हैं। यह सुविधा निगम की वोल्वो, इलैक्ट्रिक, एसी, नॉन एसी, सुपर फास्ट और साधारण बसों में उपलब्ध होगी। इस सुविधा से HRS के खाते में पैसा सीधे यात्री के बैंक खाते से जमा होगा।

इससे खुले पैसे का मुद्दा भी हल होगा। निगम अधिकारियों ने बताया कि मशीनों में बैंकिंग कार्य हो रहे हैं। ये मशीनें पूर्ण रूप से कंडक्टरों को दी जाएंगी जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।

पिछले 13 साल से मशीनें नहीं बदली

HRTC ने 2010 में बसों में यात्रियों को मैनुअल टिकटें देने की जगह टिकटिंग मशीनों का प्रयोग शुरू किया था। निगम के कंडक्टर अभी लगभग 13 साल पुरानी मशीनें उपयोग कर रहे हैं।

सीधे मुख्यालय से हो सकेगी यात्रियों की मॉनीटरिंग

रोजाना करीब 3300 बसें 3800 रूटों पर चलती हैं और करीब 2 करोड़ रुपये कमाती हैं। वर्तमान में, कंडक्टर रूट से लौटने के बाद पैसा कैश काऊंटर पर जमा करते हैं और फिर इसे बैंक में जमा किया जाता हैं। अब टिकट जारी होते ही पैसा सीधे संस्थान के बैंक खाते में जाएगा।

निगम की बसों में सफर करने वाले यात्रियों की मॉनीटरिंग भी सीधे मुख्यालय से हो सकेगी। HRTC प्रबंध निदेशक रोहन चंद ठाकुर ने कहा कि 4500 एंड्रॉयड ई-टिकटिंग मशीनें मिल गई हैं। फिलहाल, मशीनों को टेस्ट किया जा रहा है। ट्रायल पूरा होने पर परिचालकों को मशीनें दी जाएंगी और कैशलैस सुविधा शुरू होगी।