Chanakya Niti: ऐसी जगहों पर व्यक्ति को भूलकर भी नही खोलना चाहिए मुंह, गूंगा बनकर रहने में है भलाई
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से जीवन के कई पहलुओं के बारे में बताया है. उनकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही जरूरी हैं जितनी कि सैकड़ों वर्ष पहले थीं.
दूसरों के झगड़े में न बोलना
चाणक्य नीति कहती है कि यदि आप दूसरों के झगड़े में अपनी राय (opinion interference) देते हैं तो इससे अक्सर आपके लिए ही समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. इसलिए बेहतर होता है कि जहां आपका कोई लेना-देना न हो वहां चुप रहें.
स्वयं की प्रशंसा पर मौन रहना
जब भी कोई व्यक्ति आपकी प्रशंसा (self-praise) कर रहा हो, तब आपको चुप रहकर सिर्फ़ सुनना चाहिए. अपनी तारीफ़ में बोलने से आप अहंकारी प्रतीत हो सकते हैं और यह अन्य लोगों के सम्मान को कम कर सकता है.
दूसरों की निंदा ना करे
यदि कोई व्यक्ति दूसरे की बुराई कर रहा हो तो चाणक्य की नीति यह सुझाव देती है कि आपको उस चर्चा में भाग नहीं लेना चाहिए. यह न केवल अनावश्यक तनाव पैदा करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि संभवतः वही व्यक्ति आपकी अनुपस्थिति में आपकी बुराई (gossip spread) कर सकता है.
अधूरी जानकारी पर चुप रहना
जब आपके पास किसी विषय की पूर्ण जानकारी न हो, तब चाणक्य का कहना है कि आपको उस विषय पर चर्चा में भाग नहीं लेना चाहिए. अज्ञानतावश बोलने से आपका नुकसान (risk of misinformation) हो सकता है.
भावनाएं न समझने वालों के सामने मौन
चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति आपकी भावनाओं को नहीं समझता उसके सामने व्यर्थ में बातें नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने से आपकी भावनाओं का मूल्य घटता है और संवेदना (lack of empathy) की कमी दिखती है.
(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं इंटरनेट से ली गई है. किसी भी फायदे/नुकसान संबंधित CANYONSPECIALITYFOODS.Com की कोई जवाबदेही नही होगी।