home page

भारत के 5 रुपए के पुराने सिक्के से दूसरे देशों में बनती थी चीज, सरकार को पता चली सच्चाई तो उड़े होश

भारतीय खुदरा बाजार (Indian Retail Market) में 5 रुपये का सिक्का आज भी चलन में है, लेकिन इसकी मोटाई में आए बदलाव ने सबको चौंका दिया है। पुराने मोटे 5 रुपये के सिक्के (Old 5 Rupee Coins) अब दृश्य से...
 | 
rupee old coin used to make shaving blades
   

भारतीय खुदरा बाजार (Indian Retail Market) में 5 रुपये का सिक्का आज भी चलन में है, लेकिन इसकी मोटाई में आए बदलाव ने सबको चौंका दिया है। पुराने मोटे 5 रुपये के सिक्के (Old 5 Rupee Coins) अब दृश्य से गायब हो गए हैं, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने बंद कर दिया है।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

इस निर्णय के पीछे की वजह बेहद रोचक है और यह एक आर्थिक समस्या (Economic Issue) को उजागर करती है। 5 रुपये के पुराने सिक्कों की कहानी एक जटिल आर्थिक चुनौती (Complex Economic Challenge) को दर्शाती है।

जहां मुद्रा की भौतिक विशेषताएं (Physical Characteristics) अनपेक्षित अपराधी गतिविधियों (Criminal Activities) को जन्म दे सकती हैं। रिजर्व बैंक का यह कदम न केवल मुद्रा को अधिक सुरक्षित (Secure) बनाने की दिशा में था, बल्कि यह आर्थिक स्थिरता (Economic Stability) को बनाए रखने का एक प्रयास भी था।

तस्करी का बढ़ता जाल (Smuggling Network)

यह पता चला कि 5 रुपये के मोटे सिक्के की तस्करी (Smuggling) में वृद्धि हो गई थी। इस सिक्के की मेटल वैल्यू (Metal Value) सरफेस वैल्यू (Surface Value) से अधिक थी, जिससे अपराधियों ने इसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। इस धातु से दाढ़ी बनाने वाले ब्लेड (Razor Blades) बनाए जाते थे, जिससे अपराधियों को भारी मुनाफा (Heavy Profit) हो रहा था।

अवैध तस्करी का खुलासा (Illegal Smuggling Exposed)

गैर कानूनी तरीके से, इन सिक्कों को बांग्लादेश (Bangladesh) भेजा जा रहा था, जहां इन्हें पिघलाकर ब्लेड बनाने में उपयोग किया जाता था। एक सिक्के से छह ब्लेड बनाई जा सकती थीं, और प्रत्येक ब्लेड की बिक्री 2 रुपये में होती थी, जिससे एक 5 रुपये के सिक्के से 12 रुपये का सामान (Product) बनाया जा सकता था।

रिजर्व बैंक का कदम (RBI's Action)

जब इस गड़बड़ी की भनक लगी, तो रिजर्व बैंक ने सिक्कों को पहले से अधिक पतला (Thinner Coins) करने और मेटल को बदलने (Metal Change) का निर्णय लिया। इससे बांग्लादेशी तस्कर इन सिक्कों से ब्लेड नहीं बना पाएंगे।

आर्थिक समझ और सुरक्षा (Economic Understanding and Security)

सिक्कों की कीमत दो तरह से आंकी जाती है: सरफेस वैल्यू और मेटल वैल्यू। 5 रुपये के पुराने सिक्के की मेटल वैल्यू, सरफेस वैल्यू से अधिक थी, जिसका फायदा तस्करों (Smugglers) ने उठाया। इस घटना ने न केवल आर्थिक सुरक्षा (Economic Security) के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि मुद्रा डिजाइन (Currency Design) में बदलाव की आवश्यकता को भी उजागर किया।