इस गांव में पूजे जाते हैं देवताओं से पहले राक्षस, रहस्य जान पैरों तले की खिसक जाएगी जमीन
प्राय ऐसा देखा गया है कि किसी भी शुभ काम में या कोई भी मांगलिक कार्य होना हो तो देवी देवताओं की पूजा की जाती है। सभी का अपने ईष्ट देवताओं को प्रसन्न करने का तरीका हालांकि अलग-अलग होता है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे गांव के बारे में जहां देवी देवताओं की पूजा करने से पहले राक्षस को पूजा जाता है।
यहाँ है राक्षस राज बाणासुर का मंदिर
बिहार के सिवान के दरौली गांव में एक ऐसा मंदिर है जहां देवी देवताओं से पहले रक्षकों को पूजा जाता है। यह प्रथा द्वापर युग से चल रही है। बताया जाता है कि यहां पर राक्षस राज बाणासुर का मंदिर है। इस बारे में मान्यताएं हैं कि बाणासुर दोन खुर्द गांव में विश्राम करने के लिए यहां रुका थे।
खुश होकर राक्षस ने दिया था आशीर्वाद
जब राक्षस राज यहां आराम के लिए रुके तो उसे समय स्थानीय लोग उनके पास आए उन लोगों ने रक्षक राज का आतिथ्य सत्कार किया। इससे रक्षक राज प्रसन्न हो गए। खुश होकर राक्षस राज ने गांव में शांति, खुशहाली और बरकत का आशीर्वाद दिया। ऐसी मान्यताएं हैं कि तब से लेकर अब तक राक्षस राज बाणासुर की पूजा की जाती है। यह परंपरा आज भी कायम है। यहां किसी भी मांगलिक कार्य से पहले राक्षस राज बाणासुर की पूजा अर्चना की जाती है। ग्रामीण बताते हैं कि द्वापर युग से शुरू होने वाली यह पूजा की परंपरा वह आज भी निभा रहे हैं।
प्राचीन कालीन तालाब में किया था स्नान
ग्रामीण बताते हैं कि प्राचीन समय में राक्षस राज बाणासुर ने एक तालाब में स्नान किया था। यह स्थान अभी भी वहां मौजूद है। द्वापर युग के समय जब राक्षस राज उस गांव में ठहरे थे तो उसी तालाब में स्नान किया था। गांव वाले बताते हैं कि तालाब हालांकि अब गाद से भर गया है, लेकिन उसे समय की कई मूर्तियां आज भी यहां मौजूद है। इसके अलावा यहां दो ऐतिहासिक शंख मौजूद हैं, जो द्वापर युग से संबंध रखते हैं।