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सेब खरीदते वक्त भूलकर भी मत करना ये गलतियां, वरना होगा पछतावा

जब भी हम बाजार से सेब खरीदकर लाते हैं, हमें अक्सर यह जानकारी दी जाती है कि ये सेब कश्‍मीर या हिमाचल (Kashmir or Himachal Apples) से आए हैं.
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सेब खरीदते समय कहीं आप भी तो यह गलती नहीं कर रहे! जानें तरीका और इन बातों का रखें ध्‍यान
   

Import of apple:  जब भी हम बाजार से सेब खरीदकर लाते हैं, हमें अक्सर यह जानकारी दी जाती है कि ये सेब कश्‍मीर या हिमाचल  से आए हैं. लेकिन क्या वाकई में ये सेब उन्हीं स्थानों से आयातित होते हैं? हाल ही में पाया गया है कि बाजार में बिकने वाले कई सेब असल में अफगानिस्तान से आए होते हैं. इस तरह के सेब सस्ते तो होते हैं परंतु इनका स्वाद और गुणवत्ता अक्सर कश्मीर और हिमाचल के सेबों से मेल नहीं खाते.

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स्‍वाद में क्यों पड़ रहा है फर्क?

इसका मुख्य कारण है सेबों की तुड़ाई (Harvesting Practices). कश्मीर और हिमाचल के सेबों को पूरी तरह पकने के बाद ही तोड़ा जाता है, जिससे वे अपनी प्राकृतिक मिठास और ताजगी को बरकरार रखते हैं. दूसरी ओर, अफगानी सेबों को अक्सर जल्दी तोड़ लिया जाता है ताकि वे लंबी यात्रा (Long Transit) के दौरान सड़ने से बच सकें. इस प्रक्रिया में ये सेब अपनी प्राकृतिक स्वादिष्टता खो देते हैं.

सही सेब की पहचान कैसे करें?

जब भी आप सेब खरीदने जाएं उनके स्वाद और गुणवत्ता की जांच परख (Quality Check) अवश्य करें. सेब की सतह पर बारीकी से देखें; कश्मीर और हिमाचल के सेब अक्सर अधिक मजबूत और ताज़ा होते हैं. साथ ही, अगर संभव हो तो विक्रेता से सेब की उत्पत्ति के बारे में प्रमाणिकता (Authenticity) की मांग करें.

बाजार में बढ़ती अफगानी सेबों की मांग

अफगानी सेबों की बढ़ती आवक के कारण इन्हें बेचने की मांग भी बढ़ गई है. ये सेब अपनी कम कीमत (Low Cost) के कारण व्यापारियों के लिए अधिक लाभकारी होते हैं. हालांकि, इससे उपभोक्ताओं को गुणवत्ता में समझौता करना पड़ सकता है.

खरीदारी के लिए सुझाव

खरीदारी करते समय, हमेशा उचित मूल्य (Fair Price) और उत्पाद की गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाए रखें. सस्ते दाम में मिलने वाले सेबों की अपेक्षा, थोड़े महंगे लेकिन गुणवत्ता वाले सेब चुनें, जिससे आपको सही स्वाद और स्वास्थ्य लाभ (Health Benefits) मिल सकें.

इम्‍पोर्ट के आंकड़े

आंकड़ों के अनुसार वित्‍तीय साल 2022-23 में अफगानी सेब 1508 टन इम्‍पोर्ट हुआ था जबकि साल 2023-24 में 37837 टन हुआ है. इस तरह करीब 2400 गुना ज्‍यादा आवक बढ़ी है.