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कार या बाइक की तरह ट्रेन में भी होते है गियर ? टॉप स्पीड तक जाने के लिए कौनसे गियर का होता है इस्तेमाल

भारतीय रेलवे अपनी विशाल रेल पटरियों और विस्तृत नेटवर्क के साथ दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्कों में से एक है। 68 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी पटरियों लगभग 13,200 पैसेंजर ट्रेनों और 7,325 स्टेशनों के साथ यह...
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भारतीय रेलवे अपनी विशाल रेल पटरियों और विस्तृत नेटवर्क के साथ दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्कों में से एक है। 68 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी पटरियों लगभग 13,200 पैसेंजर ट्रेनों और 7,325 स्टेशनों के साथ यह भारत के कोने-कोने को जोड़ती है। गांवों से लेकर महानगरों तक भारतीय रेलवे रोजाना लाखों लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में सहायक होती है।

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भारतीय रेलवे का यह विशाल नेटवर्क और इसकी तकनीकी सोफिस्टिकेशन न केवल यात्रियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाने में सहायक होती है बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के विकास में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी व्यापकता और तकनीकी क्षमता इसे विश्व स्तर पर एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती है।

इंजन की अद्भुत क्षमता

रेलवे के इंजन अपनी विशाल शक्ति के साथ अनेकों डिब्बों को खींचने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। इस अद्भुत शक्ति के पीछे की तकनीक और व्यवस्था हमेशा एक जिज्ञासा का विषय रही है। आइए हम आपको बताते हैं कि रेलवे के इंजन में गियर की संख्या क्या होती है और ये कैसे काम करते हैं।

इंजन में गियर की संरचना

एक डीजल लोकोमोटिव के लोको पायलट द्वारा मीडिया में शेयर की गई जानकारी के अनुसार रेल के इंजन में भी गाड़ियों की भांति गियर होते हैं जिन्हें नॉच कहा जाता है। डीजल लोकोमोटिव में कुल 8 नॉच होते हैं। इलेक्ट्रिक और डीजल लोकोमोटिव की बनावट में अंतर होने के कारण इनके नॉच भी अलग तरीके से तैयार किए जाते हैं। ट्रेन की गति इंजन की शक्ति पर निर्भर करती है जो फिर पटरी की क्षमता से जुड़ी होती है।

ट्रेनों की टॉप स्पीड

जब ट्रेन एक समान गति पर चलती है तो इन नॉच को एक निश्चित स्थिति में सेट कर दिया जाता है। 8वें नॉच पर ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पकड़ लेती है। एक बार नॉच को सेट कर देने के बाद उसे बार-बार बदलने की आवश्यकता नहीं होती। गति कम करने की आवश्यकता होने पर नॉच को कम कर दिया जाता है और इससे ट्रेन की गति कम हो जाती है।

रेलवे में किसी भी लोकोमोटिव इंजन की पूर्ण गति की परीक्षण नहीं की जाती। हालांकि रेलवे अब डीजल इंजनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक इंजनों की ओर अग्रसर हो रहा है जिनमें ऑटोमेटिक गियर शिफ्ट या नॉच शिफ्ट सुविधा होती है।