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सरकार की लापरवाही के चलते ये गांव बना कुंवारों का गांव, इस वजह से यहां रिश्ता करने से भी डरते है लड़कीवाले

भारत में अनेक गांव हैं जो अपनी अनोखी परिस्थितियों के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक गांव है बिहार के कैमूर जिले में जिसका नाम बरवां कलां है। इस गांव को 'कुंवारों का गांव' के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां के...
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भारत में अनेक गांव हैं जो अपनी अनोखी परिस्थितियों के लिए जाने जाते हैं। ऐसा ही एक गांव है बिहार के कैमूर जिले में जिसका नाम बरवां कलां है। इस गांव को 'कुंवारों का गांव' के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां के अधिकांश पुरुष विवाहित नहीं हैं और यह स्थिति पिछले 50 वर्षों से बनी हुई है।

बरवां कलां जिसे 'कुंवारों का गांव' के रूप में जाना जाता है ने अपने अद्वितीय संघर्ष के माध्यम से एक मिसाल कायम की है। गांव के युवाओं ने अपनी समस्याओं का समाधान खुद ढूंढने की पहल की है जिससे न केवल उनके गांव की स्थिति में सुधार होगा बल्कि यह अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है।

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विवाह न होने के पीछे के कारण

इस गांव की मुख्य समस्या इसका दुर्गम स्थान है। बरवां कलां गांव बिहार के एक दूरदराज के क्षेत्र में स्थित है जहां बुनियादी ढांचे की भारी कमी है। इस क्षेत्र में बिजली पानी सड़क जैसी आधारभूत सुविधाएं न के बराबर हैं।

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यहां तक कि संचार के साधन भी बेहद सीमित हैं जिससे यह क्षेत्र अधिक पिछड़ा हुआ प्रतीत होता है। इन्हीं कारणों से बाहरी लोग इस गांव में अपनी बेटियों की शादी करने से कतराते हैं।

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गांव के युवाओं द्वारा उठाए गए कदम

गांव के युवाओं ने इस समस्या का समाधान खुद से निकालने का फैसला किया। उन्होंने स्थानीय पहाड़ी रास्तों को काटकर एक नई सड़क बनाई जिससे गांव तक आवागमन सुगम हो सके। यह रास्ता एक वाइल्डलाइफ सेंचुरी के माध्यम से बनाया गया।

जिससे अब वाहन भी आसानी से गांव तक पहुंच सकते हैं। इस पहल से गांव के लोगों को उम्मीद है कि उनके यहां शादियां हो सकेंगी और गांव की छवि में सुधार होगा।

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सरकारी उपेक्षा और गांव की चुनौतियां

यह गांव सरकारी उपेक्षा का भी शिकार रहा है जिसके कारण यहां के विकास में बहुत बाधाएं आई हैं। गांववासी बुनियादी सुविधाओं के लिए सरकार से अधिक सहयोग की आशा करते हैं ताकि इस क्षेत्र की स्थिति में सुधार हो सके और यहां के युवाओं को बेहतर जीवन स्थितियों का लाभ मिल सके।