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इस डर के कारण मुगल अपने बेटियों को रखते थे कुंवारी, शादी करने की उम्र में भी कुंवारी रह जाती थी शाहजादियां

मुगल साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक अध्याय है जिसकी शुरुआत 1526 में बाबर के द्वारा हुई। मुगल शासकों ने न केवल राजनीतिक विस्तार किया बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी अमूल्य योगदान दिया।

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मुगल साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक अध्याय है जिसकी शुरुआत 1526 में बाबर के द्वारा हुई। मुगल शासकों ने न केवल राजनीतिक विस्तार किया बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक क्षेत्रों में भी अमूल्य योगदान दिया।

मुगल शहजादियों के विवाह की सच्चाई

यह प्रचलित मान्यता है कि मुगल शहजादियों की शादी नहीं की जाती थी, लेकिन इतिहास के पन्नों में इसका कोई सबूत नहीं मिलता। वास्तव में, मुगल शहजादियाँ उच्च वंशों में विवाहित थीं और उन्हें उचित सम्मान प्राप्त था।

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मुगलों की विवाह प्रथाओं की वास्तविकता

मुगलों की विवाह प्रथाएँ उनके राजनीतिक और सामाजिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई थीं। वे अपने घराने की शक्ति और प्रतिष्ठा को मजबूत करने के लिए करीबी रिश्तेदारों में विवाह करते थे। इससे उनकी सत्ता में स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित होती थी।

शहजादियों की शादी का विचार 

इस मिथक का कोई ऐतिहासिक आधार नहीं है कि मुगल शहजादियों की शादी नहीं की जाती थी। बल्कि, मुगल शहजादियों के विवाह अक्सर राजनीतिक गठबंधनों के रूप में देखे जाते थे और वे अपने पति के घराने में उच्च सम्मान प्राप्त करती थीं।

मुगल दरबार की महिलाएँ

मुगल दरबार में महिलाओं का विशेष स्थान था। उन्हें शिक्षा कला और साहित्य में उचित महत्व दिया जाता था। वे राजनीतिक और सामाजिक निर्णयों में भी अपना योगदान देती थीं।