पढ़े लिखे लोग भी नही बता पाएंगे चल और अचल संपति के बीच अंतर, जिंदगी में बहुत काम आएगी ये खास जानकारी
आज के युग में संपत्ति के संबंध में विभिन्न नियमों और कानूनों की जानकारी हर किसी के लिए अत्यावश्यक है। आमतौर पर संपत्ति को दो प्रकार में बाँटा जाता है: चल संपत्ति और अचल संपत्ति। यह विभाजन संपत्ति की प्रकृति और उसके उपयोग पर आधारित होता है। संपत्ति से जुड़े नियमों की जानकारी होने से व्यक्ति को अपने अधिकारों का पूर्ण ज्ञान होता है।
वह अपनी संपत्ति का सही उपयोग और निवेश कर सकता है। यह जानकारी न केवल व्यक्तिगत बल्कि व्यावसायिक तौर पर भी महत्वपूर्ण होती है। इसलिए संपत्ति से जुड़े प्रत्येक नियम और शर्तों को समझना और उन्हें अपनाना आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित होता है।
चल संपत्ति की परिभाषा
चल संपत्ति वह होती है जिसे आप एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार की वस्तुएं शामिल होती हैं जैसे आभूषण, लैपटॉप, पंखा, सामान्य वाहन इत्यादि। इन संपत्तियों को अपनी स्थानीयता के कारण 'चल' माना जाता है और इनका उपयोग तथा व्यापार अधिक सुलभ होता है।
अचल संपत्ति की परिभाषा
अचल संपत्ति जिसे अमूवेबल प्रॉपर्टी भी कहा जाता है। वह होती है जिसे एक जगह से दूसरी जगह नहीं ले जाया जा सकता। इसमें भवन, दुकानें, कारखाने आदि शामिल हैं। यह संपत्ति अपने स्थायित्व और बड़े निवेश के कारण विशेष महत्व रखती है।
चल और अचल संपत्ति में मुख्य अंतर
चल संपत्ति के लिए पंजीकरण की आवश्यकता नहीं होती। जबकि अचल संपत्ति की कीमत यदि ₹100 से अधिक हो। तो इसे पंजीकरण अधिनियम 1908 के तहत पंजीकृत करवाना अनिवार्य होता है। इसके अलावा अचल संपत्ति को वसीयत के बिना विभाजित या उपहार में दिया जाना संभव नहीं होता। जबकि चल संपत्ति को आसानी से किसी को भी दिया जा सकता है।
अन्य जरूरी जानकारियां
पेड़-पौधे जो जमीन से उपजते हैं, उन्हें आयकर अधिनियम के तहत चल संपत्ति में नहीं गिना जाता है क्योंकि इन्हें जमीन से अलग किया जा सकता है और इसलिए वे अचल संपत्ति की श्रेणी में नहीं आते।