पढ़ी लिखी महिलाएं भी नही बता पाएंगे BRA की फुल फॉर्म, असली नाम सुनकर तो मर्दों को भी होगी हैरानी
आम जिंदगी में हम कई चीजों का इस्तेमाल करते हैं जिनके बारे में पूरी जानकारी नहीं होती। जीन्स की छोटी जेब हो, महिलाओं की शर्ट के बटन का उल्टा होना हो या फिर ब्रा का पूरा नाम और हिन्दी नाम, हर चीज का एक इतिहास और कारण होता है।
जैसे जीन्स की अगली पॉकेट के पास छोटी जेब क्यों होती है? ये छोटी जेब पहले जेब घड़ी रखने के लिए बनाई गई थी। जब घड़ी का चलन कम हो गया, तब भी ये जेब जीन्स का हिस्सा बनी रही। अब इसे सिक्के, चाबियां या छोटी वस्तुएं रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
छोटी-छोटी चीजों के पीछे भी बड़े कारण होते हैं। अब जब भी आप इन चीजों का सामना करेंगे, तो इनके पीछे की कहानी याद आएगी और आपको उन चीजों को देखने का एक नया नजरिया मिलेगा।
महिलाओं की शर्ट के बटन
क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि महिलाओं की शर्ट के बटन पुरुषों की शर्ट के बटन के विपरीत दिशा में होते हैं? इसका कारण ऐतिहासिक है। पुराने जमाने में महिलाओं को अपने कपड़े पहनाने के लिए सहायिका होती थी।
इसलिए बटन को उलटी तरफ लगाया जाता था ताकि सहायिका आसानी से बटन लगा सके। वहीं पुरुष अपने कपड़े खुद पहनते थे, इसलिए उनके बटन सीधा होते थे।
ब्रा का पूरा नाम और इतिहास
अब आते हैं ब्रा के ऊपर। ब्रा का पूरा नाम क्या है और इसे हिन्दी में क्या कहते हैं, यह जानना रोचक है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा (Quora) पर किसी ने पूछा कि ब्रा का पूरा नाम क्या होता है। बहुत से लोगों ने अपने-अपने अनुसार जवाब दिए।
ब्रा का पूरा नाम
कई लोगों ने गलत तर्क के साथ उत्तर दिए जबकि कुछ लोगों ने सही जवाब भी दिए। किरण कुमार वानखेडे़ और रूपाली नयर ने बताया कि ब्रा शब्द फ्रेंच शब्द Brassiere (brassière) से लिया गया है। इसे 1893 में न्यूयॉर्क में ईवनिंग हेराल्ड न्यूजपेपर में इस्तेमाल किया गया था।
इसके बाद 1904 में DeBevoise कंपनी ने इसे अपने एडवर्टाइजमेंट में इस्तेमाल किया और 1907 में वोग मैग्जीन ने पहली बार 'brassiere' शब्द को प्रिंट किया। इसके बाद से यह शब्द प्रचलित हो गया।
ब्रा को हिन्दी में क्या कहते हैं
अब जानते हैं कि ब्रा को हिन्दी में क्या कहते हैं। कोरा पर कई लोगों ने अपने-अपने अनुसार जवाब दिए। ब्रजेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि ब्रा शब्द अब हिन्दी में भी प्रचलित हो गया है और यह बिल्कुल हिन्दी के शब्द जैसा ही व्यवहार करता है। पर हिन्दी में इसे वक्षावृत, वक्षोपवस्त्र, कुच वस्त्र और कुचाग्रनीवी कहते हैं। रमेश चंद्र वार्ष्णेय ने इसे चोली, कुचबंधन, कंचुकी कहा है।