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सेविंग अकाउंट में इतने पैसे रखते है तो भी देना पड़ता है टैक्स, जाने इनकम टैक्स का ये नियम

आधुनिक समय में बैंक खाता हमारे वित्तीय जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसका महत्व केवल वयस्कों तक सीमित नहीं है; बल्कि आजकल बच्चों के नाम पर भी खाते खोले जाते हैं। चाहे वह सैलरी हो स्कॉलरशिप या...
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Income Tax Rule Saving Account
   

आधुनिक समय में बैंक खाता हमारे वित्तीय जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है। इसका महत्व केवल वयस्कों तक सीमित नहीं है; बल्कि आजकल बच्चों के नाम पर भी खाते खोले जाते हैं। चाहे वह सैलरी हो स्कॉलरशिप या किसी अन्य प्रकार की वित्तीय आवश्यकता बैंक खाता हमेशा एक मूलभूत जरूरत के रूप में उपस्थित रहता है।

बैंक खाता आज के समय में केवल एक सुविधा नहीं बल्कि एक जरूरत बन गया है। हालांकि इसके साथ आने वाली जिम्मेदारियां और करों का भुगतान भी महत्वपूर्ण है। बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स के संबंध में जागरूकता और समझ वित्तीय नियोजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सेविंग और करंट खाता

बैंक दो प्रकार के खाते प्रदान करते हैं सेविंग अकाउंट और करंट अकाउंट। जहां एक ओर सेविंग अकाउंट पैसे बचाने की दिशा में एक कदम है, वहीं करंट अकाउंट व्यावसायिक गतिविधियों के लिए अधिक उपयुक्त होता है।

ब्याज पर बचत

बैंक सेविंग अकाउंट पर ब्याज के रूप में कई लाभ प्रदान करते हैं, लेकिन एक आम धारणा है कि इस ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता। हालांकि यह पूर्णतः सत्य नहीं है। बचत खाते पर मिलने वाला ब्याज भी टैक्स के दायरे में आता है अगर वह एक निश्चित सीमा से अधिक हो।

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टैक्स का दायरा कब और कैसे?

बैंक खाते में जमा पैसे पर न्यूनतम बैलेंस रखने की आवश्यकता नहीं होती और न ही जमा राशि पर कोई सीमा होती है। लेकिन जब बचत खाते में जमा राशि पर मिलने वाला ब्याज एक निश्चित सीमा से अधिक होता है, तो इस पर टैक्स लगाया जाता है। यह आवश्यक है कि खाताधारक ऐसी स्थिति में आईटीआर के दायरे में आए बिना अपने खाते में नियंत्रित राशि रखें।

क्या है आयकर के नियम

आयकर अधिनियम के अनुसार बचत खाते से प्राप्त ब्याज को भी व्यक्ति की आय में जोड़ा जाता है। यदि किसी खाताधारक की वार्षिक आय ब्याज सहित निश्चित सीमा से अधिक होती है, तो उसे उस ब्याज पर टैक्स देना होगा।

आयकर विभाग के प्रति जिम्मेदारी

यदि कोई व्यक्ति अपने बचत खाते में एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये या अधिक राशि जमा करता है, तो उसे इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी चाहिए। इसे न करने पर विभाग टैक्स चोरी के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है।

इस तरह बैंक खाताधारकों को अपने वित्तीय लेन-देन की सटीक जानकारी विभाग को प्रदान करने की जरूरत होती है, ताकि किसी भी प्रकार के वित्तीय अनियमितताओं से बचा जा सके।