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होशियार लोग भी नही जानते एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों के बीच अंतर, जाने कितनी होती है स्पीड

भारतीय रेलवे जो कि दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है न केवल विशाल है बल्कि देश की लगभग आधी आबादी के लिए यात्रा का प्रमुख साधन भी है। यह रेलवे नेटवर्क न केवल सुविधाजनक और आरामदायक है बल्कि यह आम लोगों को कम लागत में लंबी दूरियां तय करने का अवसर प्रदान करता है।

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भारतीय रेलवे जो कि दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है न केवल विशाल है बल्कि देश की लगभग आधी आबादी के लिए यात्रा का प्रमुख साधन भी है। यह रेलवे नेटवर्क न केवल सुविधाजनक और आरामदायक है बल्कि यह आम लोगों को कम लागत में लंबी दूरियां तय करने का अवसर प्रदान करता है।

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सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनें

आमतौर पर यात्रियों के बीच यह भ्रम रहता है कि सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेनें समान होती हैं क्योंकि अक्सर टिकट पर केवल 'सुपरफास्ट' या 'एक्सप्रेस' लिखा होता है। हालांकि दोनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर हैं जो उनके परिचालन में निहित हैं।

सुपरफास्ट ट्रेनें जिनकी औसत गति बड़ी लाइनों पर 55 किलोमीटर प्रति घंटा और छोटी लाइनों पर 45 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होती है को उनकी तीव्रता के आधार पर सुपरफास्ट का दर्जा दिया जाता है। इन ट्रेनों पर अतिरिक्त सुपरफास्ट सरचार्ज लगता है और ये बहुत कम स्टेशनों पर रुकती हैं जिससे यात्रा का समय कम होता है।

दूसरी ओर, एक्सप्रेस ट्रेनें जिनकी गति लगभग 55 किलोमीटर प्रति घंटा होती है वे सुपरफास्ट ट्रेनों से कम स्पीड पर चलती हैं लेकिन मेल ट्रेनों से अधिक गति पर। ये ट्रेनें कई स्टेशनों पर रुकती हैं और उनका उपयोग मुख्य रूप से लंबी दूरी की यात्रा के लिए किया जाता है। एक्सप्रेस ट्रेनें आमतौर पर किसी शहर महत्वपूर्ण स्थान या व्यक्ति के नाम से जुड़ी होती हैं और इनमें विभिन्न श्रेणियों के डिब्बे होते हैं।

मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों का उपयोग

मेल-एक्सप्रेस ट्रेनें, जिनकी गति औसतन एक घंटे में 50 किलोमीटर होती है, प्रमुख शहरों को जोड़ने में सहायक होती हैं। ये ट्रेनें लंबी दूरी की यात्राओं के लिए अनुकूल होती हैं और कई बार रुक-रुक कर अपने गंतव्य की ओर बढ़ती हैं, जिससे यात्रियों को स्थानीय स्तर पर यात्रा करने में सुविधा होती है।