होशियार लोग भी नही जानते भंडारा और लंगर के बीच में असली फर्क, अगर नही पता तो आज जान लो असली मतलब
हिंदू धर्म में प्रसाद को ईश्वरीय आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है। भक्त घंटों लाइन में खड़े रहकर इसे प्राप्त करने का इंतजार करते हैं। यह न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि भगवान के प्रति समर्पण का भी द्योतक है। इस प्रक्रिया में भोजन को भी एक विशेष महत्व प्राप्त होता है, जिसे भंडारा और लंगर के रूप में जाना जाता है।
भंडारा और लंगर
भंडारा और लंगर दोनों ही अन्नदान की भावना को प्रदर्शित करते हैं। ये आयोजन सभी को बिना किसी भेदभाव के भरपेट भोजन प्रदान करते हैं। इनमें परोसा जाने वाला भोजन शाकाहारी होता है जो इसे अन्नदान की श्रेणी में रखता है। भाषा और संस्कृति में मामूली अंतर के बावजूद, इन दोनों का उद्देश्य समान है।
भंडारा और लंगर के बीच के विशिष्ट अंतर
भंडारे आमतौर पर मंदिरों में आयोजित किए जाते हैं और हिंदू जातियों और समुदायों में प्रचलित हैं। इसमें पूजा या विशेष त्योहारों के अवसर पर भोजन का आयोजन किया जाता है। दूसरी ओर लंगर सिख और पंजाबी समुदायों में गुरुद्वारों में परोसा जाता है। इसमें गुरु केंद्रित भोजन समारोह होता है जिसमें भक्तों को बिना किसी भेदभाव के भोजन प्रदान किया जाता है।
अन्नदान की सार्वभौमिकता
चाहे भंडारा हो या लंगर दोनों ही समाज में अन्नदान की भावना को बढ़ावा देते हैं। ये आयोजन हमें सिखाते हैं कि भोजन केवल शारीरिक पोषण नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया भी है जो हमें एक-दूसरे से जोड़ती है। यह अन्नदान की सार्वभौमिकता को प्रदर्शित करता है जो सभी धर्मों और समुदायों में समान रूप से महत्वपूर्ण है।