कभी सोचा है कि अंग्रेजी और देसी शराब में क्या होता है असली फर्क, हर रोज़ पीने वाले भी नही बता पाएंगे ये राज की बात
शराब की चर्चा होते ही अलग-अलग ब्रांड्स और उनके स्वाद की बातें जेहन में आने लगती हैं। लेकिन जब बात देसी और अंग्रेजी शराब की आती है तो कई लोगों को इसके बीच के अंतर की सही जानकारी नहीं होती। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शराब के बारे में बताने जा रहे हैं।
शराब की चर्चा होते ही अलग-अलग ब्रांड्स और उनके स्वाद की बातें जेहन में आने लगती हैं। लेकिन जब बात देसी और अंग्रेजी शराब की आती है तो कई लोगों को इसके बीच के अंतर की सही जानकारी नहीं होती। आइए इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको शराब के बारे में बताने जा रहे हैं।
शराब कैसे बनाई जाती है
आम धारणा के विपरीत देसी और अंग्रेजी शराब की निर्माण प्रक्रिया में बहुत अधिक भेद नहीं होता। दोनों ही प्रकार की शराब को फर्मेंटेशन और डिस्टिलेशन के माध्यम से बनाया जाता है। देसी शराब जिसे पारंपरिक तौर पर शीरे और अन्य कृषि उत्पादों से तैयार किया जाता है को विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों से जाना जाता है। इसकी पैकिंग ज्यादातर पॉलिथीन या प्लास्टिक की बोतलों में की जाती है।
देसी और अंग्रेजी शराब के बीच का फर्क
मुख्य अंतर इनके स्वाद और फ्लेवर में आता है। जहां अंग्रेजी शराब में विविध प्रकार के फ्लेवर्स मिलाए जाते हैं वहीं देसी शराब पूर्णतया प्राकृतिक सामग्री से बनाई जाती है और इसमें किसी भी प्रकार के फ्लेवर का मिश्रण नहीं किया जाता। इसके चलते देसी शराब में एक खास और तेज गंध होती है।
बाजार में शराब की बिक्री
आंकड़ों के अनुसार भारत में बिकने वाली शराब का लगभग दो-तिहाई हिस्सा देसी शराब का होता है। यह दर्शाता है कि देसी शराब अभी भी भारतीय बाजार में एक मजबूत स्थान रखती है। देसी शराब की बिक्री में हर साल सात प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जाती है जो इसकी लोकप्रियता को सिद्ध करती है।
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देसी दारू के अलग अलग नाम
भारत के विभिन्न राज्यों में देसी दारू को विभिन्न नामों से जाना जाता है। ये नाम स्थानीय संस्कृति और भाषा पर आधारित होते हैं। जैसे पश्चिम बंगाल और झारखंड में 'टॉल बॉय' बहुत प्रसिद्ध है तो कहीं इसे 'हीर रांझा', 'घूमर', 'जीएम संतरा' और 'जीएम लिंबू पंच' के नाम से जाना जाता है।