कभी सोचा है कि शराब की बोतल 750ML की ही क्यों होती है, हर रोज पीने वाले भी नही जानते ये मजेदार कारण
शराब की बोतलों का आकार और डिज़ाइन वर्षों से बदलता रहा है परन्तु एक चीज जो बदलाव के बावजूद लगभग समान रही है वह है इसकी मात्रा। आमतौर पर शराब की बोतलें 750 मिलीलीटर की होती हैं जिसके पीछे दिलचस्प ऐतिहासिक और तकनीकी कारण हैं।
शराब की बोतलों का आकार न सिर्फ ऐतिहासिक और तकनीकी कारणों से तय हुआ है बल्कि यह आज भी उसी परंपरा को बनाए रखने का एक उदाहरण है। चाहे तकनीकी विकास कितना भी आगे बढ़ जाए कुछ चीजें अपने पारंपरिक मूल्यों को बरकरार रखती हैं जैसे कि हमारी शराब की बोतलें।
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कांच की बोतलों का अर्थशास्त्र
कांच की बोतलों का इतिहास बहुत पुराना है। पहली शताब्दी में जब कांच की बोतलें पहली बार बनाई गईं तो वे काफी महंगी थीं। इसका मुख्य कारण था कांच बनाने की प्रक्रिया जो उस समय काफी महंगी और जटिल थी। हालांकि 18वीं सदी तक आते-आते कांच के उत्पादन में आई तकनीकी प्रगति ने इसे अधिक सुलभ और सस्ता बना दिया था।
कोयले की भट्टियों का योगदान
कोयले से चलने वाली भट्टियों के विकास ने कांच की बोतलों की मजबूती में अहम भूमिका निभाई। इन भट्टियों में कांच को अधिक समय तक और अधिक तापमान पर पिघलाया जा सकता था जिससे बोतलें अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाई जा सकती थीं। इससे बोतलों का लंबा आकार संभव हो पाया जो स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन दोनों के लिए लाभदायक साबित हुआ।
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750ml बोतल का कारण
शराब की बोतलों का स्टैंडर्ड आकार 750 मिलीलीटर क्यों होता है इसके पीछे की कहानी भी रोचक है। प्रारंभ में बोतलें हाथ से बनाई जाती थीं और उन्हें आकार देने के लिए ग्लास ब्लोअर्स मुंह से हवा फूंककर बोतल को फुलाते थे।
एक औसत व्यक्ति की क्षमता 700 से 800 मिलीलीटर हवा एक बार में फूंकने की होती है इसलिए बोतलों का आकार इसी के आसपास सेटल हो गया। आधुनिक युग में भले ही तकनीकी विकास हो लेकिन बोतलों का यह आकार आज भी बरकरार है क्योंकि यह एक पारंपरिक मानक के रूप में स्थापित हो चुका है।