भारतीय धरती पर विदेशी फल की खेती करके किसान हुआ मालामाल, कम खर्चे में लाखों की कमाई से किसान की हुई मौज
अब भारतीय किसान पारंपरिक फसलों के अलावा विदेशी फसलों की खेती करने लगे हैं, जिससे अधिक मुनाफा मिल सके। राजस्थान के एक किसान रामेश्वर लाल इसी तरह विदेशी फल की खेती कर लाखों रुपये कमाई कर रहे हैं। इस सफलता ने दूसरे किसानों को प्रेरणा दी है।
दक्षिण अमेरिका, स्विटरजर्लैंड और भूटान की तर्ज़ पर भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए उन्होंने पारम्परिक खेती छोड़ दी। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के खजीना गांव के निवासी रामेश्वर लाल जाट कुछ काम करने के लिए गुजरात गए थे।
उन्होंने वहां ड्रैगन फ्रूट की खेती करते देखा। वह अचंभित हो गए और श्रीलंका, भूटान और स्विट्जरलैंड से इसके बारे में अधिक जानकारी जुटाने लगे। बाद में उनकी रुचि काफी बढ़ने लगी और उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का निर्णय लिया।
एक पौधे से 30 किलो की पैदावार
2020 में, रामेश्वर लाल अपने गांव वापस आकर खेती करने लगे। उनकी डेढ़ बीघा जमीन पर लगभग दो हजार पौधे लगाने में लगभग छह लाख रुपये खर्च हुए। 2022 में करीब 300 फल हुए। वह कहते हैं कि फल बेचकर एक बार में 15 लाख रुपये मिल सकते हैं।
उन्होंने कहा कि एक पौधे से 25 से 30 किलो फल मिलते हैं। विशेष बात यह है कि पौधे एक बार लगने के बाद दो दशक तक उत्पादन देता रहता है। इसकी कीमत 800 रुपये तक हो सकती है।
ड्रैगन फ्रूट का इतिहास
ड्रैगन फ्रूट एक कैक्टैस प्रजाति से आता है। यह अधिकतर दक्षिणी अमेरिका में मिलता है। इसकी खेती भी स्विट्जरलैंड, भूटान और इजराइल में की जाती है। ड्रैगन फ्रूट में लगभग 150 वैरायटी होती हैं।
ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हिलोकेरेस अंडटस है, जिससे हिंदी में पिताया या स्ट्रॉबेरी पीयर कहा जाता है। यह पौधा नागफनी की तरह लगता है। इस फल की शक्ल ड्रैगन से मिलती है, इसलिए इसे ड्रैगन फ्रूट कहा जाता है।
ड्रैगन फ्रूट से कई चीजें होती है तैयार
जैसा कि नाम बताता है, ड्रैगन फ्रूट एक विदेशी फल है। यह काफी रसीला है। यह भी कई औषधीय गुणों से भरा हुआ है। इस फल का आकार 6 से 12 सेंटीमीटर का होता है।
इसका गूदा सफेद और लाल होता है, लेकिन इसके अंदर खाने योग्य काले बीज होते हैं। ड्रैगन फ्रूट भी आइसक्रीम, जेली, जूस और वाइन में मिलता है। इसे दवा भी बनाया जाता है।