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बांस की खेती करके किसान हो सकते है मालामाल, सरकार की तरफ से मिल रही है बंपर सब्सिडी

भारत में कृषि एक प्रमुख आजीविका का स्रोत है और किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की खेती में नई तकनीक और विविधीकरण उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकता है।
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भारत में कृषि एक प्रमुख आजीविका का स्रोत है और किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की खेती में नई तकनीक और विविधीकरण उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकता है। इसी कड़ी में, बांस की खेती आज के समय में एक लाभकारी फसलके रूप में उभर रही है।

बांस की खेती

बांस एक तेजी से उगने वाला पौधा है जिसे एक बार लगाने के बाद लगभग 40 वर्षों तक कमाई की जा सकती है। यह खेती किसानों के लिए न केवल एक लंबी अवधि का निवेश है बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। बांस की खेती के लिए विशेष प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती जिससे यह विभिन्न प्रकार के भौगोलिक क्षेत्रों में उगाई जा सकती है।

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सरकारी प्रोत्साहन और सब्सिडी

भारतीय सरकार बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रति पौधा 120 रुपये की सहायता राशि प्रदान कर रही है। इस प्रकार की सहायता किसानों को बांस की खेती की ओर आकर्षित करने में मदद करती है और उन्हें शुरुआती निवेश में आसानी प्रदान करती है।

बांस की खेती का समय और तकनीक

बांस की रोपाई मुख्य रूप से जुलाई से अगस्त के महीने में की जाती है। यह खेती बारिश के मौसम में फलती-फूलती है क्योंकि बांस को उगने के लिए पर्याप्त नमी की जरूरत होती है। एक बार पूर्ण रूप से स्थापित हो जाने के बाद, बांस हर साल उत्पादन देता है जिससे किसानों को लगातार आय होती है।

बाजार में बांस की मांग

आज के समय में बांस से बने उत्पाद जैसे कि फर्नीचर, डेकोरेटिव आइटम्स और यहाँ तक कि टिकाऊ निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग बढ़ रहा है। बांस के उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ लंबे समय तक और टिकाऊ भी होते हैं, जिससे ये बाजार में अधिक मांग में हैं।