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इस फसल की खेती करके किसान हो सकते है मालामाल, कम खर्चे में लखपति बना सकती है ये खेती

वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति का उदय हुआ है वो है मशरूम की खेती। पारंपरिक फसलों की खेती के मुकाबले मशरूम की खेती ने किसानों के लिए नए द्वार खोल दिए हैं।
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वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति का उदय हुआ है वो है मशरूम की खेती। पारंपरिक फसलों की खेती के मुकाबले मशरूम की खेती ने किसानों के लिए नए द्वार खोल दिए हैं। यह खेती न केवल कम लागत में संभव है बल्कि इससे अच्छे खासे लाभ मिलते हैं।

बढ़ती मांग और उत्पादन

पहले के समय में किसान मशरूम का उत्पादन कम मात्रा में करते थे परंतु अब समय के साथ मशरूम की खेती में भारी वृद्धि हुई है। आज के समय में मशरूम की विविध वैराइटीज मार्केट में उपलब्ध हैं जिनमें ऑयस्टर, बटन और मिल्की मशरूम प्रमुख हैं। किसानों की बढ़ती रुचि और अच्छे लाभ के कारण मशरूम की खेती आज एक लाभदायक व्यवसाय बन चुकी है।

कम लागत में ज्यादा लाभ

किसान शशि कुमार के अनुसार मशरूम उत्पादन से उन्हें कम लागत में अधिक लाभ हो रहा है। 3 हजार पॉलीबैग में मशरूम का उत्पादन करके वे 300 किलो से अधिक मशरूम प्राप्त कर रहे हैं जिसे वे अच्छे दामों में बाजार में बेच रहे हैं। यहाँ तक कि नए किसानों को भी उन्होंने मशरूम की खेती के प्रति प्रेरित किया है और उन्हें सस्ते दामों में मशरूम उपलब्ध करवाया है।

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मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया

मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया सरल है। शशि कुमार के अनुसार इसकी शुरुआत धान और गेहूँ के भूसे को मिक्स करके पानी में 24 घंटे भिगोने से होती है। इसके बाद भूसे को सुखाकर और दवाइयाँ मिलाकर प्लास्टिक बैग्स में पैक किया जाता है। इसे अच्छे उत्पादन के लिए ठंडे और अंधेरे स्थान पर रखा जाता है।

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बिहार में मशरूम की खेती

बिहार में मशरूम की खेती तीन प्रकार की होती है - ऑयस्टर, बटन, और मिल्की। ये तीनों प्रकार के मशरूम विशेष तौर पर मौसम के अनुसार उगाए जाते हैं। इससे किसानों को वर्ष भर में कई बार फसल उगाने का अवसर मिलता है।

लाभ की संभावनाएं

मशरूम के उत्पादन से किसानों को भारी लाभ हो रहा है। शशि कुमार के अनुसार, 3 हजार पॉलीबैग्स से 2 लाख रुपये तक का लाभ संभव है। यदि किसान अधिक संख्या में पॉलीबैग्स का उपयोग करते हैं, तो उन्हें और भी अधिक लाभ की संभावना होती है।