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गर्मियों में इस फल की खेती करके किसान हो सकते है मालामाल, बंपर पैदावार लेने के लिए ध्यान रखे ये बातें

भारतीय किसान अब अपनी परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी की ओर भी ध्यान दे रहे हैं जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हो सके। परंपरागत फसलों की खेती के अलावा अब फलों की खेती का चलन बढ़ रहा है जिसमें मौसंबी की खेती प्रमुख है।
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भारतीय किसान अब अपनी परंपरागत खेती के साथ-साथ बागवानी की ओर भी ध्यान दे रहे हैं जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हो सके। परंपरागत फसलों की खेती के अलावा अब फलों की खेती का चलन बढ़ रहा है जिसमें मौसंबी की खेती प्रमुख है। मौसंबी की खेती इसलिए भी फायदेमंद है क्योंकि इसका बाजार में साल भर मांग रहती है और दुकानों पर मौसंबी का जूस लोकप्रिय है।

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मौसंबी की खेती की उपयुक्तता

मौसंबी की खेती के लिए मौसम की विविधता कोई बाधा नहीं बनती है। यह गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसमों में की जा सकती है। गर्मियों में जहां 5 से 10 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए वहीं सर्दियों में यह अंतराल 10 से 15 दिन का होता है। बारिश के मौसम में यह सुनिश्चित करना होता है कि खेत में पानी न भरे जिससे पौधों की जड़ें सड़ने से बच सकें।

मौसंबी के पौधों की रोपाई

मौसंबी के पौधे लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह से तैयारी करनी चाहिए। खेत की गहरी जुताई करने के बाद गोबर की खाद मिलाकर जमीन को उर्वर बनाया जाता है। पौधे लगाने के लिए बनाए गए गड्ढों में पौधे सावधानीपूर्वक लगाए जाते हैं और प्रत्येक गड्ढे के बीच पर्याप्त दूरी सुनिश्चित की जाती है। इसके बाद पहली सिंचाई की जाती है और नियमित अंतराल पर खाद और पानी दिया जाता है।

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उत्पादन और आय 

मौसंबी के पेड़ 3 साल में फल देना शुरू कर देते हैं, और 5 साल के बाद फलों की मात्रा में वृद्धि होती है। एक मौसंबी का पेड़ प्रति सीजन 20 से 30 किलोग्राम तक फल दे सकता है। इस प्रकार अगर किसान 50 पेड़ लगाते हैं तो उन्हें प्रति वर्ष 25 क्विंटल तक की उपज मिल सकती है जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिक सकती है। इस तरह मौसंबी की खेती न केवल आय बढ़ाने में सहायक हो सकती है बल्कि किसानों को वित्तीय स्थिरता प्रदान करने में भी मदद करती है।