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हरियाणा में बंजर भूमि पर भी लहराएगी फसल, खुशी से झूम उठे किसान

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की चुनौतियों का सामना करते हुए फसलों के नुकसान को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुसंधान किए हैं.
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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की चुनौतियों का सामना करते हुए फसलों के नुकसान को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के अनुसंधान किए हैं. इस दिशा में कई नई और संकर किस्मों का विकास किया गया है जो कि विभिन्न प्रकार की भूमि और जलवायु स्थितियों में पैदा हो सकती हैं.

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नई किस्मों का विकास और उनका महत्व

 ICAR ने केंद्रीय और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर 524 खेत फसलों और 167 बागवानी फसलों की नई किस्में (new varieties of crops) विकसित की हैं. इन किस्मों को विशेष रूप से भारतीय जलवायु की विविधताओं और खेती की चुनौतियों के अनुकूल बनाया गया है.

बंजर भूमि पर खेती की संभावनाएं

किसानों के लिए खेती की संभावना खोजने के लिए ICAR ने महत्वपूर्ण कार्य किया है. नई तकनीकों और अनुसंधानों के माध्यम से ऐसी फसलों की किस्में विकसित की गई हैं जो लवणीय और कम उपजाऊ भूमि में भी उत्पादन कर सकती हैं.

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अनुसंधान और विकसित किस्मों का आर्थिक प्रभाव 

इन अनुसंधानों और विकसित किस्मों का भारतीय कृषि पर महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव पड़ा है. किसानों को उच्च उपज प्राप्त हो रही है और खेती की लागत में कमी आई है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है.

राज्यों के अनुरूप फसलों की किस्मों का विकास 

प्रत्येक राज्य की अलग-अलग भौगोलिक और जलवायु स्थितियों के अनुसार फसलों की किस्में विकसित की गई हैं. ये किस्में किसानों की विशिष्ट आवश्यकताओं (specific needs of farmers) को पूरा करने में सहायक हैं और उन्हें अधिक उपज देने में मदद कर रही हैं.