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फूलो की खेती करके किसान की चमक उठी किस्मत, लोगों को बताई फूलों की खेती करने की टिप्स

वर्षों से मौसम के अनिश्चित उतार-चढ़ाव और प्राकृतिक आपदाओं के चलते कन्नौज क्षेत्र के किसान खेती में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान हैं। इन चुनौतियों का सामना करते हुए, कुछ नवाचारी किसानों ने पारंपरिक खेती से इतर, फूलों की खेती की ओर अपना ध्यान आकर्षित किया है।
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वर्षों से मौसम के अनिश्चित उतार-चढ़ाव और प्राकृतिक आपदाओं के चलते कन्नौज क्षेत्र के किसान खेती में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान हैं। इन चुनौतियों का सामना करते हुए, कुछ नवाचारी किसानों ने पारंपरिक खेती से इतर, फूलों की खेती की ओर अपना ध्यान आकर्षित किया है। इसी क्रम में तिर्वा क्षेत्र के एक अग्रणी किसान ने गेंदा के फूल की खेती कर एक नई मिसाल पेश की है।

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गेंदा फूल की खेती

तिर्वा क्षेत्र के बौरापुर गांव के निवासी सरनाम सिंह जो पेशे से किसान हैं ने अपनी खेती की परंपरागत विधियों में बदलाव करते हुए गेंदा के फूल की खेती का निर्णय लिया। इस नई शुरुआत ने न केवल उन्हें कम लागत में अच्छा मुनाफा दिलाया बल्कि उनकी आय में भी बढ़ोतरी हुई है।

नई तकनीक से खेती 

सरनाम सिंह ने पहले आलू और मक्का जैसी पारंपरिक फसलों की खेती की, लेकिन गेंदा के फूल की खेती ने उन्हें नई आर्थिक संभावनाएं प्रदान की। पिछले वर्ष उन्होंने करीब डेढ़ बीघा जमीन में गेंदा की खेती की और कानपुर कृषि विद्यालय से पौध लाए। यह फसल उनके लिए अन्य सभी सामान्य फसलों की तुलना में अधिक लाभकारी सिद्ध हुई।

खेती से मुनाफे का सफर

गेंदा के फूल की खेती ने सरनाम सिंह को कम लागत में ज्यादा मुनाफा दिया है। इस फूल की खेती से खेत की उर्वरक क्षमता में भी वृद्धि होती है, क्योंकि इसमें कीटनाशकों का उपयोग नहीं होता। इस तरह, गेंदा के फूल की खेती न केवल अधिक लाभ दे रही है बल्कि भविष्य की फसलों के लिए भी लाभकारी साबित हो रही है।

वार्षिक खेती के दो अवसर

सरनाम सिंह के अनुसार, गेंदा के फूल की खेती साल में दो बार की जा सकती है। इस फूल की खेती से वे स्थानीय मंडी में अच्छी कीमत पर फूल बेच पा रहे हैं, जिससे उन्हें हर महीने अच्छी कमाई हो रही है।