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भारत में यहां प्रेग्नेंट होने के लिए आती है विदेशी औरतें, मर्दों के साथ संबंध बनाने के लिए देती है पैसे

लद्दाख के दूरदराज के गांवों में बसा ब्रोकपा समुदाय अपने आप को दुनिया के शुद्ध आर्य मानता है.
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pregnancy tourism ladakh: लद्दाख के दूरदराज के गांवों में बसा ब्रोकपा समुदाय अपने आप को दुनिया के शुद्ध आर्य मानता है. यह समुदाय अपनी विशिष्ट जेनेटिक विशेषताओं और ऐतिहासिक महत्व के कारण विश्वभर में चर्चित है. अल जजीरा, ब्राउन हिस्ट्री और कर्ली टेल्स जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रकाशित रिपोर्ट्स के अनुसार, लेह से करीब 160 किलोमीटर दूर बियामा, डाह, हानू, गारकोन, और दारचिक जैसे गांव इस समुदाय के लिए प्रसिद्ध हैं. यहाँ के निवासी खुद को आर्यों के वंशज मानते हैं और इसी कारण उनके यहां आने वाली विदेशी महिलाओं की रुचि उत्पन्न होती है.

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अनोखी रस्म और विशेषताएं

 इतिहास के अनुसार, ये समुदाय के लोग सिकंदर महान के समय के सैनिक थे जो सिंधु घाटी में बस गए थे. इनकी शारीरिक बनावट लद्दाख के अन्य निवासियों से काफी अलग है. उच्च कद, गोरा रंग, लंबे बाल, उठे हुए जबड़े, और हल्की आंखें इन्हें अन्य से विशिष्ट बनाती हैं. ये विशेषताएं इन्हें बेहद आकर्षक बनाती हैं और पर्यटन के लिहाज से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण है.

प्रेग्नेंसी टूरिज्म 

यूरोपीय देशों से आने वाली महिलाएं विशेषकर जर्मनी से इस समुदाय के बीच आकर्षित होती हैं क्योंकि वे 'शुद्ध आर्य बीज' प्राप्त करना चाहती हैं जिससे उनकी संतान में भी ये विशेषताएं आ सकें. हालांकि इसे लेकर कई तरह की वैज्ञानिक जांचें और डीएनए टेस्ट नहीं हुए हैं जो इस दावे की पुष्टि कर सकें. सन् 2007 में आई डॉक्यूमेंट्री "Achtung Baby: In Search of Purity" में इस पर कुछ प्रकाश डाला गया था.

समुदाय पर अफवाहें और वास्तविकता 

 कई बार ऐसी खबरें आई हैं कि यह सब मात्र अफवाह और इस समुदाय को बदनाम करने की कोशिश है. यह भी कहा जाता है कि यह प्रेग्नेंसी टूरिज्म सिर्फ कल्पना है और इसका कोई ठोस आधार नहीं है. फिर भी इस तरह की गतिविधियों ने लद्दाख के इन गांवों को विश्व स्तर पर एक अजीबोगरीब पहचान दी है.