नए साल से पहले राजस्थान की जनता के लिए खुशखबरी, 3 नैशनल हाइवे को लेकर NHAI का बड़ा फैसला National Highways
किन हाईवे का होगा फोरलेन में बदलाव
राजस्थान के लालसोट-कोथून एनएच 23, मनोहरपुर-दौसा एनएच 148 और सालासर-नागौर एनएच 58 (Rajasthan Highway Four Lane Plans) को फोरलेन में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है. यह हाईवे वर्तमान में दो लेन के हैं. लेकिन यातायात का दबाव बढ़ने से इनकी चौड़ाई बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है.
यातायात में सुगमता और सुरक्षा
फोरलेन बनने के बाद इन हाईवे पर यातायात (traffic safety and smooth travel on highways) अधिक सुगम होगा. इसके साथ ही सड़क हादसों की आशंका भी कम होगी. लालसोट-कोथून हाईवे पर जहां पहले ही आबादी वाले इलाकों में फोरलेन का निर्माण हुआ है. बाकी हिस्सों को अब चौड़ा किया जाएगा.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के कारण बढ़ा यातायात
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi Mumbai Expressway Traffic Impact) के शुरू होने के बाद लालसोट-कोथून हाईवे पर यातायात का भार चार गुना बढ़ गया है. जयपुर-कोटा हाईवे और दिल्ली-जयपुर हाईवे से जुड़ने वाले वाहनों की संख्या में भी वृद्धि देखी गई है. भविष्य में इन हाईवे पर और अधिक यातायात दबाव की संभावना है.
दुर्घटनाओं का रिकॉर्ड
लालसोट-कोथून हाईवे (road accidents on national highways) पर बढ़ते वाहनों के कारण दुर्घटनाओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है. पिछले वर्ष शिवसिंहपुरा गांव के पास हुए एक दर्दनाक हादसे में राजस्व विभाग के कर्मियों की जान चली गई थी. फोरलेन बनने के बाद इन हादसों में कमी आने की संभावना है.
डीपीआर की प्रक्रिया
फोरलेन निर्माण के लिए डीपीआर (Detailed Project Report for highway upgrade) तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बलवीरसिंह यादव ने बताया कि पहले निविदाएं प्राप्त की जाएंगी. फिर उनका मूल्यांकन किया जाएगा. ट्रैफिक अध्ययन के अनुसार काम को अंजाम दिया जाएगा.
क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा
फोरलेन बनने से क्षेत्रीय विकास (regional development through highway upgrades) को भी बढ़ावा मिलेगा. बेहतर कनेक्टिविटी से व्यापारिक गतिविधियां तेज होंगी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. साथ ही यातायात की सुविधा से समय और ईंधन की बचत होगी.
सड़क निर्माण में टिकाऊ तकनीक का उपयोग
इन हाईवे के फोरलेन निर्माण में आधुनिक और टिकाऊ तकनीक (sustainable highway construction techniques) का उपयोग किया जाएगा. इससे सड़कें अधिक मजबूत और दीर्घकालिक होंगी.