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यूपी के इस जिले में बने गुलाल की देशभर में रहती है खूब डिमांड, क्वालिटी भी ऐसी की देश-विदेश में भी है खूब डिमांड

होली भारत के सबसे रंगीन त्यौहारों में से एक है जहां पूरा देश रंग और गुलाल से सराबोर हो जाता है। इस दिन सभी भेदभाव मिट जाते हैं और लोग एक-दूसरे पर खुशियों के रंग डालते हैं।
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होली भारत के सबसे रंगीन त्यौहारों में से एक है जहां पूरा देश रंग और गुलाल से सराबोर हो जाता है। इस दिन सभी भेदभाव मिट जाते हैं और लोग एक-दूसरे पर खुशियों के रंग डालते हैं। लेकिन इस उत्सव के पीछे एक बड़ी चिंता भी है - उपयोग किए जाने वाले रंगों की क्वालिटी और उनका स्वास्थ्य पर प्रभाव।

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हाथरस

होली के गुलाल और रंगों के उत्पादन के लिए विख्यात उत्तर प्रदेश का हाथरस जिला पूरे विश्व में इन उत्पादों का एक प्रमुख निर्यातक है। हाथरस में बने गुलाल हर्बल तरीके से तैयार किए जाते हैं जिनमें प्रमुखता से टेसू के फूलों का उपयोग होता है जिससे ये त्वचा के लिए सुरक्षित रहते हैं।

गुलाल उद्योग की विशालता

हाथरस की 20 से अधिक फैक्ट्रियां हर साल होली के मौके पर 30 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई करती हैं। इस व्यापार की जड़ें सदियों पुरानी हैं और आज भी हाथरस के गुलाल और रंगों की क्वालिटी का कोई मुकाबला नहीं कर सकता।

देशभर से आती है डिमांड

होली के दौरान हाथरस के गुलाल और रंगों की मांग पूरे देशभर से होती है। इस डिमांड को पूरा करने के लिए फैक्ट्रियों को कई बार दो शिफ्टों में चलाया जाता है। गुलाल बनाने के लिए जरूरी कच्चा माल दिल्ली अहमदाबाद सोनीपत और पानीपत जैसे शहरों से मंगाया जाता है।

होली के रंगों की सुरक्षित तैयारी

होली के रंगों और गुलाल के उत्पादन में हाथरस की परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। हाथरस के उत्पादक सुनिश्चित करते हैं कि गुलाल हर्बल सामग्री से तैयार किए जाएं, जिससे वे त्वचा के लिए हानिरहित रहें। इस प्रकार, होली के त्यौहार के दौरान, हम न केवल रंगों की खुशियाँ मनाते हैं, बल्कि इन रंगों के पीछे की विशाल और समृद्ध परंपरा को भी सेलिब्रेट करते हैं।