हरियाणा बोर्ड ने किया बड़ा ऐलान अब इस सब्जेक्ट में नही माने जाएंगे फैल, स्टूडेंट्स की हुई मौज
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जो विद्यार्थियों के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो सकता है। यदि कोई छात्र दसवीं कक्षा तक अपने छठे विषय के रूप में संस्कृत का चयन करके और इसमें उत्तीर्ण होता है तो उसे हिंदी विषय में उत्तीर्ण न होने पर भी पास माना जाएगा। यह नियम उन छात्रों के लिए एक बड़ी राहत प्रदान करेगा जो हिंदी में कमजोर हैं लेकिन संस्कृत में अच्छे अंक लाते हैं।
सरकारी पहल और संस्कृत शिक्षा
इस नई शिक्षा नीति के पीछे हरियाणा सरकार का उद्देश्य संस्कृत भाषा को बढ़ावा देना है। सरकार ने पहले ही स्कूल शिक्षा निदेशालय और संस्कृत संगठनों से संस्कृत भाषा के महत्व और विकास के संबंध में सुझाव मांगे थे। इसके बाद, इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए, संस्कृत को माध्यमिक शिक्षा में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
संस्कृत को अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम
बढ़ती हुई मांग के अनुसार, संस्कृत भाषा को हरियाणा के स्कूलों में अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की योजना बनाई गई है। संगठनों और निदेशालय से प्राप्त राय के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि संस्कृत को शिक्षा पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
शिक्षक प्रशिक्षण और संस्कारशाला
इसके अलावा, संस्कृत शिक्षकों को जिला स्तर पर विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे विद्यार्थियों को और अधिक कुशलता से पढ़ा सकें। संस्कारशाला के माध्यम से, मंदिरों और अन्य केंद्रों पर जाकर लोगों को संस्कृत का ज्ञान दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण और शिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से संस्कृत भाषा के महत्व को बढ़ावा देने की कोशिश की जाएगी, और इसका प्रयोग दैनिक जीवन में बढ़ाया जाएगा।