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Haryana Khabar: हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इस बड़े अधिकारी को किया सस्पेंड, जाने क्या है पूरा मामला

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने भिवानी शहरी स्थानीय निकाय के कार्यकारी अधिकारी अभय सिंह को तुरंत निलंबित कर दिया है
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हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने भिवानी शहरी स्थानीय निकाय के कार्यकारी अधिकारी अभय सिंह को तुरंत निलंबित कर दिया है, क्योंकि सीएम विंडो पर दर्ज प्लॉट के अलॉटमेंट लेटर को समय पर नहीं दिया गया था।

मुख्यमंत्री के ओएसडी और मुख्यालय पर सीएम विंडो की निगरानी कर रहे श्री भूपेश्वर दयाल ने कहा कि सरकार द्वारा जनता को समयबद्ध रूप से सभी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ देने के लिए अथक प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन काम में देरी करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर लगातार कार्रवाई की जाती है। इस खंड में उपरोक्त कार्य किया गया है।
     
श्री भूपेश्वर दयाल ने बताया कि भिवानी के अशोक कॉलोनी में रहने वाले श्री शंकर ने सीएम विण्डो पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई थी, जिसमें कहा गया था कि वह 1985 में बोली के तहत भिवानी नगर परिषद से एक प्लॉट खरीदा था। उसने सिक्योरिटी पैसे और प्लॉट के मूल्य की एक चौथाई राशि जमा कर दी थी। लेकिन आज तक नगर परिषद् ने उसे प्लॉट का ऑलाटमेन्ट लेटर नहीं दिया।

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उनका कहना था कि प्रार्थी प्लॉट की बकाया रकम भुगतान करने को तैयार है। लेकिन बार-बार रिमाइंडर 12 मई, 2022, 4 अगस्त, 17 नवंबर, 2022 और 5 अक्तूबर, 2023 को जारी करने के बाद भी विभाग ने कोई कार्यवाही रिपोर्ट अपलोड नहीं की। बतौर प्रशासकीय कार्यभारी अधिकारी, नगर परिषद् भिवानी के कार्यकारी अधिकारी अभय सिंह को इस मामले में कार्रवाई करनी होगी। मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने भिवानी शहरी स्थानीय निकाय के कार्यकारी अधिकारी अभय सिंह को इस मामले में की गई देरी के लिए निलंबित कर दिया। साथ ही, शहरी स्थानीय निकाय विभाग के आयुक्त और सचिव को संबंधित मामले पर कार्यवाही करने और रिपोर्ट को जल्दी से भेजने का भी आदेश दिया गया है।

OSDH श्री भूपेश्वर दयाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का लक्ष्य है कि जनता को हर समय निर्धारित समयावधि में सभी सुविधाएं दी जाएं, बिना किसी प्रकार की देरी की जाएं। मुख्यमंत्री न केवल सीएम विंडो पर आने वाली शिकायतों को गंभीरता से लेते हैं, बल्कि अन्य स्रोतों से आने वाले नागरिकों के शिकायतों पर भी त्वरित कार्रवाई करते हैं। यही कारण है कि अधिकारी और कर्मचारी जनता से आने वाली शिकायतों को गंभीरता से लें और किसी भी प्रकार की देरी या कोताही करने से बचें. ऐसा नहीं करने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।