Haryana News: हरियाणा में फसलों का अवशेष जलाने वालों पर सरकार करेगी कार्रवाई, GPS Location के साथ होगा ये काम
हरियाणा सहित भारत के कई राज्यों में गेहूं की कटाई का सीजन जोरों पर है। इस दौरान कटाई के बाद बचे फसल अवशेषों को जलाने की प्रथा भी चिंता का विषय बनी हुई है। फसल अवशेष जलाना पर्यावरण के लिए हानिकारक है और इससे हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है जिसका सीधा असर मानव स्वास्थ्य पर पड़ता है।
प्रशासनिक कदम और धारा 144 का प्रयोग
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशानुसार हरियाणा समेत सभी प्रभावित राज्यों में धारा 144 लागू की गई है जिसके तहत फसल अवशेष जलाने पर सख्त पाबंदी है। इसके अलावा प्रशासन ने कृषि, राजस्व और पंचायत विभागों के सहयोग से गांव, खंड और जिला स्तर पर विशेष टीमें गठित की हैं जो इस पाबंदी का पालन न करने वालों पर कड़ी कारवाई करेगी।
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टेक्नोलॉजी का उपयोग और सख्ती
हर्सेक के माध्यम से सेटेलाइट और जीपीएस टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए फसल जलाने वाले क्षेत्रों की पहचान की जा रही है। इस प्रक्रिया में, किसानों को उनके खेतों की सटीक लोकेशन और फोटो शेयर की जाती है जिससे उन्हें इस नियम के पालन की गंभीरता का अहसास हो सके। किसी भी उल्लंघन की स्थिति में कड़ी कार्रवाई की जाती है।
किसानों से अपील और अवशेष के उपाय
प्रशासन ने किसानों से विशेष अपील की है कि वे आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर फसल के अवशेषों का समुचित प्रबंधन करें। ऐसा करने से न सिर्फ पर्यावरण की सुरक्षा होती है, बल्कि भूमि की उर्वरता भी बनी रहती है। फसल अवशेषों को जलाने से भूमि के पोषक तत्व नष्ट होते हैं और मिट्टी की संरचना प्रभावित होती है।