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Haryana News: हरियाणा के इन किसानों को नही मिलेगा MSP का फायदा, जाने क्या है वजह

हरियाणा सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक नई और महत्वपूर्ण पहल शुरू की है, जिसके तहत रबी फसल क्षेत्र का लगभग 68.4 प्रतिशत पंजीकृत किया गया है। 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' (एमएफएमबी) पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी....
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हरियाणा सरकार ने कृषि क्षेत्र में एक नई और महत्वपूर्ण पहल शुरू की है, जिसके तहत रबी फसल क्षेत्र का लगभग 68.4 प्रतिशत पंजीकृत किया गया है। 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' (एमएफएमबी) पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेच सकेंगे, जो कि उनके लिए एक बड़ी राहत का स्रोत है।

एमएसपी का लाभ और पंजीकरण की अनिवार्यता

राज्य सरकार ने एमएसपी पर अपनी उपज बेचने के लिए किसानों के लिए एमएफएमबी पोर्टल पर फसलों का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया है। इस प्रक्रिया से किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सकेगा। हालांकि पंजीकरण न करने वाले 31.6 प्रतिशत किसान इस लाभ से वंचित रह जाएंगे।

फसल खरीद प्रक्रिया में आधुनिकता

सरकार ने सरसों और गेहूं की उपज के खरीद सीजन के लिए विशेष व्यवस्था की है, जिसमें एक किसान से एक दिन में 25 क्विंटल सरसों की खरीद सीमा निर्धारित की गई है। इससे पंजीकृत किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा।

खरीद केंद्रों पर व्यवस्था और उत्पादन का अनुमान

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राज्य भर में 104 खरीद केंद्रों पर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सरसों की खरीद की जाएगी। जबकि 1 अप्रैल से 2,275 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद के लिए राज्य भर में 414 खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं। इस प्रयास से सरकार किसानों को उनकी फसल के सही मूल्य और सुगमता से विक्रय की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य रखती है।

उत्पादन का अनुमान और बाजार की स्थिति

पिछले वर्ष हरियाणा ने लगभग 63 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं खरीदा था। इस वर्ष सरसों का अनुमानित उत्पादन 14 लाख मीट्रिक टन से अधिक है। जबकि सूरजमुखी का उत्पादन 50,800 मीट्रिक टन, चने का 26,320 मीट्रिक टन और ग्रीष्मकालीन मूंग का 33,600 मीट्रिक टन होने की संभावना है। ये आंकड़े राज्य की कृषि क्षमता और उत्पादन विविधता को दर्शाते हैं।

चुनौतियां और समाधान

राज्य में फसल खरीद की प्रक्रिया परेशानी मुक्त रहती है। लेकिन व्यवस्था में गड़बड़ी तब आती है जब व्यापारी दूसरे राज्यों से अनाज लाकर हरियाणा में बेचने की कोशिश करते हैं। इससे वास्तविक किसानों के हितों का हनन होता है। सरकार और प्राधिकरणों को इस दिशा में अधिक कड़े उपाय करने की आवश्यकता है ताकि केवल वास्तविक किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिल सके।