HBSE Update: हरियाणा बोर्ड ने 10वीं क्लास के स्टूडेंट्स की कर दी मौज, प्रैक्टिकल परीक्षा के भी जुड़ेंगे अंक
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (HBSE) ने इस वर्ष दसवीं कक्षा (Class 10th) की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। पहले जहां लिखित परीक्षा (Written Exam) में 33 प्रतिशत अंक (33% Marks) प्राप्त करना अनिवार्य था। अब इस शर्त को हटा दिया गया है।
इसके तहत प्रायोगिक (Practical) और लिखित परीक्षा मिलाकर अगर विद्यार्थी 33 फीसदी अंक हासिल कर लेते हैं, तो उन्हें पास (Pass) माना जाएगा। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का यह फैसला न केवल विद्यार्थियों के लिए राहत लेकर आया है बल्कि यह शिक्षा के क्षेत्र में एक नई सोच (New Thinking) को भी प्रोत्साहित करता है।
इससे न केवल पास होने की दर में सुधार होगा बल्कि विद्यार्थियों के समग्र विकास (Overall Development) में भी मदद मिलेगी। ऐसे निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार (Innovation) और प्रगति (Progress) की दिशा में उठाए गए सकारात्मक कदम हैं।
12वीं कक्षा के लिए नियम पूर्ववत
इस नए नियम के विपरीत, 12वीं कक्षा (Class 12th) के लिए परीक्षा का अंक फार्मूला (Exam Marking Scheme) पहले की भांति बरकरार रखा गया है। इसमें विद्यार्थियों को लिखित परीक्षा में ही 33 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। यह निर्णय दसवीं कक्षा के छात्रों को एक बड़ी राहत प्रदान करता है लेकिन 12वीं के छात्रों के लिए पुराने मानदंड (Old Standards) लागू रहेंगे।
विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ
इस फैसले का सबसे बड़ा लाभ उन विद्यार्थियों को मिलेगा जो प्रायोगिक परीक्षाओं (Practical Exams) में अच्छे हैं लेकिन लिखित परीक्षाओं में कमजोर होते हैं। अब, अगर वे प्रायोगिक में 20 अंक और लिखित में 13 अंक प्राप्त कर लेते हैं, तो भी वे पास हो जाएंगे। इससे विद्यार्थियों पर से परीक्षा का दबाव (Exam Pressure) कम होगा और वे बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।
सोनीपत के परिणामों में सुधार की उम्मीद
पिछले वर्ष सोनीपत (Sonipat) के 16,196 विद्यार्थियों ने दसवीं कक्षा की परीक्षा दी थी, जिनमें से केवल 10,621 ही पास हो पाए थे। इस फैसले के बाद, सोनीपत सहित पूरे हरियाणा (Haryana) में विद्यार्थियों के पास होने की दर में सुधार होने की उम्मीद है।
शिक्षा में आवश्यक बदलाव
हरियाणा बोर्ड का यह कदम शिक्षा प्रणाली (Education System) में एक आवश्यक बदलाव को दर्शाता है। यह विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करेगा और उन्हें सीखने की प्रक्रिया में अधिक सहज बनाएगा। शिक्षा को अधिक समावेशी (Inclusive) और लचीला (Flexible) बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।