Virasat Express: भारत की सबसे पुरानी ट्रेन आज भी करती है सही काम, 157 साल पहले हुई थी ट्रेन की शुरूआत
अंग्रेजों की गर्मी से राहत दिलाने वाली ट्रेन
कालका मेल की स्थापना खास तौर पर अंग्रेजी राज के दौरान की गई थी जब कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) ब्रिटिश राज की राजधानी थी. गर्मियों के दौरान अंग्रेज अधिकारी और उनके परिवार शीतल और सुखद जलवायु वाले शिमला में अपना समय बिताते थे. इस उद्देश्य के लिए कालका मेल की शुरुआत की गई थी जिससे कोलकाता से शिमला तक का सफर आसान हो सके.
ट्रेन के नामों का इतिहास
शुरुआत में इस ट्रेन का नाम ईस्ट इंडिया रेलवे मेल था, जो वायसराय और उनके स्टाफ को गर्मियों के दौरान शिमला ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाती थी. वक्त के साथ इसका नाम बदलकर कालका मेल कर दिया गया और अब हाल ही में इसे नेताजी एक्सप्रेस का नाम दिया गया है.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ ट्रेन का खास संबंध
इस ट्रेन का एक विशेष संबंध नेताजी सुभाष चंद्र बोस से भी है. ऐतिहासिक रूप से, 1941 में नेताजी ने अंग्रेजों से बचने के लिए इसी ट्रेन का उपयोग किया था. यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्षणों में से एक है.
ट्रेन का वर्तमान
वर्तमान में कालका मेल न केवल एक ट्रेन है बल्कि यह भारतीय रेलवे की एक जीवंत विरासत है. इसकी यात्रा के दौरान यात्रियों को भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ताने-बाने से रूबरू होने का मौका मिलता है. इस ट्रेन की यात्रा न केवल एक आवागमन का साधन है बल्कि यह भारत के इतिहास की एक जीवित कहानी है जो आज भी अपने सफर में उस गौरवशाली अतीत को संजोए हुए है.