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High Court Decision: पार्टनर को तलाक दिए बिना किसी दूसरे के साथ रहना पड़ेगा भारी, हाईकोर्ट ने किया बड़ा ऐलान

वर्तमान समय में लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) की प्रवृत्ति ने न केवल सामाजिक बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से भी कई चुनौतियां प्रस्तुत की हैं।
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वर्तमान समय में लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) की प्रवृत्ति ने न केवल सामाजिक बल्कि कानूनी दृष्टिकोण से भी कई चुनौतियां प्रस्तुत की हैं। हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की जिसने इस विषय पर नई बहस को जन्म दिया है।

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विवाहित जीवन और लिव-इन के बीच समस्या 

पटियाला (Patiala) निवासी एक जोड़े के मामले में, जिसमें पुरुष पहले से विवाहित (Married) है और उसकी एक बेटी भी है, हाईकोर्ट ने उनकी सुरक्षा से जुड़ी याचिका (Petition) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने यह टिप्पणी की कि बिना तलाक (Divorce) दिए किसी दूसरे के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहना दूसरे विवाह के बराबर माना जा सकता है।

कानूनी परिप्रेक्ष्य में लिव-इन

आईपीसी की धारा 494/495 (IPC Section 494/495) के अनुसार, द्विविवाह (Bigamy) एक अपराध है। इस प्रकरण में, याची और उसके साथी ने सुरक्षा की मांग की थी लेकिन कोर्ट ने पाया कि धमकियों (Threats) के आरोप बेबुनियाद और अस्पष्ट हैं।

जुर्माना और सजा का प्रावधान

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामले में व्याभिचार (Adultery) से बचने के लिए याचिका दायर की गई प्रतीत होती है। यहां तक कि जुर्माने (Fine) और 7 साल तक की जेल (Jail) की सजा का प्रावधान भी है, अगर यह सिद्ध हो जाता है कि याचिकाकर्ता ने अपने जीवनसाथी को बिना तलाक दिए दूसरे व्यक्ति के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहकर कानून का उल्लंघन किया है।

सामाजिक और कानूनी संदर्भ में चुनौतियाँ

यह मामला समाज में लिव-इन रिलेशनशिप के प्रति बदलते नजरिए (Perspective) और कानूनी चुनौतियों (Legal Challenges) को दर्शाता है। एक ओर जहां समाज धीरे-धीरे इसे स्वीकार करता जा रहा है, वहीं कानूनी दायरे में यह अभी भी एक जटिल मुद्दा (Complex Issue) बना हुआ है।