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सरकारी और पंचायती जमीन के किस तरीके से बन सकते है मालिक, जाने सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला

भारत में जमीन के अवैध कब्जे (Illegal Occupation) एक गंभीर समस्या है, जिससे न केवल सरकारी और पंचायती जमीनें (Government and Panchayat Lands) प्रभावित होती हैं बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है।
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land occupied : क्या सरकारी और पंचायती जमीन के बन सकते हैं मालिक, जानिये सुप्रीम कोर्ट का सुप्रीम फैसला
   

भारत में जमीन के अवैध कब्जे (Illegal Occupation) एक गंभीर समस्या है, जिससे न केवल सरकारी और पंचायती जमीनें (Government and Panchayat Lands) प्रभावित होती हैं बल्कि यह समाज के विकास को भी बाधित करता है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सरकारी या पंचायती जमीन पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले व्यक्ति इसे नियमित करने का दावा नहीं कर सकते। इस निर्णय ने स्पष्ट किया है कि अवैध कब्जे (Illegal Occupation) को नियमित करना केवल राज्य सरकार की नीति (State Government Policy) और नियमों के अनुसार ही संभव है।

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हरियाणा सरकार की नीति और नियम

हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने 2000 में एक नीति बनाई थी जिसमें 'अबादी देह' (Residential Area) के बाहर पंचायती जमीन की अनाधिकृत बिक्री को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इस नीति के तहत, पंजाब विलेज कॉमन लैंड्स (रेगुलेशन) रूल्स, 1964 में संशोधन किया गया और एक नोटिफिकेशन 2008 में जारी किया गया था। इस नोटिफिकेशन के अनुसार, ग्राम पंचायत को अपनी गैर-खेती योग्य जमीन (Non-Cultivable Land) को उन गांव के निवासियों को बेचने का अधिकार था जिन्होंने 31 मार्च, 2000 को या उससे पहले यहां अपना घर बनाया था।

सोनीपत के निवासियों का मामला

सोनीपत जिले के सरसाद गांव के निवासियों ने पंचायती जमीन पर कब्जा (Possession of Panchayat Land) कर अपने घरों का निर्माण किया था और इसे नियमित करने का दावा किया था। हालांकि, सोनीपत के उपायुक्त ने उनके आवेदन को खारिज (Application Rejected) कर दिया क्योंकि आवेदकों ने आवश्यक 200 वर्ग गज से अधिक क्षेत्र पर अवैध कब्जा किया था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने भी उपायुक्त द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोनीपत के उपायुक्त और हाई कोर्ट के फैसले को उचित ठहराया और कहा कि जिन याचिकाकर्ताओं ने आवश्यक 200 वर्ग गज से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है, वे नियम 12 (4) के तहत लाभ के हकदार नहीं हैं। इस निर्णय ने स्पष्ट किया कि अवैध कब्जे को नियमित करने की प्रक्रिया केवल राज्य सरकार की नीति और नियमों के अनुसार ही हो सकती है। इस निर्णय से अवैध कब्जे (Illegal Occupation) के खिलाफ एक सख्त संदेश गया है, और यह सरकारी और पंचायती जमीनों की सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।