लाइट से चलने वाली ट्रेनें सालों तक ही तार पर कैसे चलती है, क्या सच में नही घिसता ये अनोखा तार
भारतीय रेलवे को अक्सर देश की जीवन रेखा कहा जाता है। यह देश के छोटे शहरों को बड़े महानगरों से जोड़ती है और यहां की आधी आबादी रेलवे के माध्यम से अपनी यात्राएं करती है। रेलवे द्वारा दी जाने वाली यात्रा सुविधाएं और उनकी तकनीक कठोर और व्यापक हैं जिसे समझना आवश्यक है।
भारतीय रेलवे को अक्सर देश की जीवन रेखा कहा जाता है। यह देश के छोटे शहरों को बड़े महानगरों से जोड़ती है और यहां की आधी आबादी रेलवे के माध्यम से अपनी यात्राएं करती है। रेलवे द्वारा दी जाने वाली यात्रा सुविधाएं और उनकी तकनीक कठोर और व्यापक हैं जिसे समझना आवश्यक है।
ट्रेनों का संचालन
समय के साथ रेलवे की तकनीक में बदलाव आया है। परंपरागत डीजल लोकोमोटिव से लेकर आधुनिक इलेक्ट्रिक इंजनों तक ट्रेनों को विभिन्न स्रोतों से ऊर्जा प्राप्त होती है। इलेक्ट्रिक ट्रेनें मुख्य रूप से ओवरहेड इलेक्ट्रिकल वायरिंग सिस्टम से शक्ति प्राप्त करती हैं। इन ट्रेनों की छत पर लगा पेंटोग्राफ नामक उपकरण ऊपरी तारों से सीधे बिजली खींचता है और इंजन को चलाता है।
ट्रेन की तकनीक
ट्रेन की गति को नियंत्रित करने की प्रक्रिया जटिल होती है। इलेक्ट्रिक इंजन में जब बिजली पेंटोग्राफ के माध्यम से प्राप्त होती है तो यह पहले एक ट्रांसफार्मर के पास जाती है जो वोल्टेज को इकट्ठा करता है। इसके बाद यह बिजली एक नियंत्रक में जाती है जो ट्रेन की गति को नियंत्रित करता है। लोको पायलट इस नियंत्रक को एक नॉच के माध्यम से संचालित करता है जिससे ट्रेन की स्पीड में बढ़ोतरी या कमी की जा सकती है।
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ट्रेनों में इस्तेमाल होने वाली आधुनिक तकनीकें
आधुनिक रेलवे सिस्टम में विद्युतीकरण और सिग्नलिंग की अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। ये तकनीकें न केवल ट्रेन के संचालन को सुरक्षित बनाती हैं बल्कि यात्रा को अधिक सुगम और तीव्र बनाती हैं। इलेक्ट्रिक ट्रेनों में, विशेष रूप से मेट्रो और हाई-स्पीड रेलगाड़ियों में प्रयुक्त तकनीकी समाधान यात्रा के समय को कम करते हुए ऊर्जा दक्षता को बढ़ाते हैं।