मौसम विभाग कैसे पता लगाता है कि आने वाले दिनों में कैसा रहेगा तापमान, जाने किस तकनीक का किया जाता है इस्तेमाल
मौसम विभाग का काम किसी जादू से कम नहीं है। वैज्ञानिक विधियों के माध्यम से यह संस्था वातावरण के विभिन्न पहलुओं को मापती है और आने वाले मौसम की भविष्यवाणी करती है। इसके लिए वायुमंडलीय तापमान, आर्द्रता, हवा की दिशा और गति और बादलों की स्थिति जैसे कई तत्वों की निगरानी की जाती है।
इस जानकारी को प्राप्त करने के लिए वर्षामापी, एनीमोमीटर, विंडवेन जैसे उपकरणों का उपयोग होता है। मौसम विभाग की भविष्यवाणियां न केवल वैज्ञानिक रूप से उन्नत होती हैं। बल्कि दैनिक जीवन में भी उपयोगी होती हैं। जिससे लोगों को आने वाले मौसम के बारे में पहले से ही जानकारी हो जाती है और वे उसके अनुसार अपनी तैयारियां कर सकते हैं।
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आधुनिक उपकरण और प्रौद्योगिकी
उन्नत प्रौद्योगिकी और हाई-स्पीड कंप्यूटर्स के अलावा, मौसम संबंधित उपग्रह, एयर बैलून और रडार जैसे उपकरण भी मौसम विभाग के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इनकी सहायता से मौसम के अनुमान की सटीकता बढ़ती है। सेटेलाइट्स बादलों की लगातार तस्वीरें भेजते हैं। जिससे वैज्ञानिकों को बादलों की मौजूदगी और मात्रा का अंदाजा होता है।
मौसम की भविष्यवाणी की प्रक्रिया
मौसम की भविष्यवाणी में पहले जुटाए गए डेटा का विश्लेषण होता है। जिसमें मौजूदा मौसमी डेटा और इतिहासिक मौसमी डेटा दोनों शामिल होते हैं। इस डेटा को मौसम मॉडल्स में डाला जाता है जो विभिन्न मौसमी परिदृश्यों की भविष्यवाणी करते हैं। इसके बाद यह भविष्यवाणी सार्वजनिक रूप से जारी की जाती है।
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मौसम विभाग द्वारा जारी विविध प्रकार की भविष्यवाणियां
मौसम विभाग द्वारा चार प्रकार की मौसम भविष्यवाणियां की जाती हैं: तात्कालिक, अल्प अवधि, मध्यम अवधि, और विस्तृत अवधि। इन भविष्यवाणियों के आधार पर लोग अपने यात्रा योजनाओं को तय करते हैं। कृषि संबंधित निर्णय लेते हैं और अपनी दिनचर्या को समायोजित करते हैं।