कितनी बार पंचर होने के बाद बदल लेना चाहिए गाड़ी का टायर, वरना बीच रास्ते में ही हो सकती है परेशानी
गाड़ी चलाते समय पंक्चर (Puncture) हो जाना एक ऐसी समस्या है जिससे अक्सर वाहन चालकों को दो-चार होना पड़ता है। विशेषकर, खराब सड़कों (Bad Roads) पर यात्रा करते समय यह समस्या अधिक आती है। बार-बार के पंक्चर से वाहन चालकों को न केवल असुविधा होती है बल्कि कई बार यह खर्चीला (Costly) भी साबित होता है।
टायर की देखभाल महत्वपूर्ण
गाड़ी का पूरा वजन (Vehicle Weight) टायरों पर होता है, इसलिए टायर का सही स्थिति में होना अति आवश्यक है। लेकिन, अनेक बार पंक्चर होने के बाद भी टायर को कब तक इस्तेमाल किया जा सकता है, यह एक बड़ा प्रश्न है।
ट्यूब और ट्यूबलेस टायर मे क्या है अंतर?
ट्यूब (Tube) और ट्यूबलेस टायरों (Tubeless Tires) में मुख्य अंतर यह है कि ट्यूब वाले टायर में हवा तुरंत निकल जाती है, जबकि ट्यूबलेस में हवा कुछ समय तक बनी रहती है। ट्यूब वाले टायर में बार-बार पंक्चर होने पर ट्यूब को बदलना पड़ता है, जबकि ट्यूबलेस टायर की मरम्मत (Repair) आसान और सस्ती होती है।
कितने पंक्चर के बाद बदलें टायर?
यह जानना महत्वपूर्ण है कि टायर में ज्यादा पंक्चर होने पर उसे कब बदलना चाहिए। माना जाता है कि अगर टायर 3-4 बार पंक्चर हो चुका है, तो उसे बदल देना चाहिए। खासकर, अगर पंक्चर के बीच की दूरी (Distance Between Punctures) 150 मिमी से कम है या पंक्चर 6 मिमी से बड़ा है, तो नया टायर लगवा लेना चाहिए।
सुरक्षा और समझदारी
टायर की देखभाल न केवल वाहन की सुरक्षा (Safety) के लिए जरूरी है बल्कि यह आपकी समझदारी (Wisdom) को भी दर्शाता है। टायर में अधिक पंक्चर होने पर उसे बदलना न केवल आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि आपके वाहन के जीवनकाल (Lifespan of Vehicle) को भी बढ़ाता है।