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बारिश के मौसम में आसमान से गिरने वाली बिजली कितने वोल्ट की होती है, क्या सच में ट्रेन पर भी गिर सकती है ये बिजली

भारत एक ऐसा देश है जहां मौसमी बदलाव अक्सर बड़ी चुनौतियां लेकर आते हैं, खासकर मानसून के दौरान। बारिश के मौसम में तेज हवा और बारिश के साथ-साथ आकाशीय बिजली का खतरा भी बढ़ जाता है।
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voltage of lightning
   

भारत एक ऐसा देश है जहां मौसमी बदलाव अक्सर बड़ी चुनौतियां लेकर आते हैं, खासकर मानसून के दौरान। बारिश के मौसम में तेज हवा और बारिश के साथ-साथ आकाशीय बिजली का खतरा भी बढ़ जाता है। जो कभी-कभी भारी नुकसान और जानमाल की हानि का कारण बनती है।

इस परिप्रेक्ष्य में ट्रेनों पर आकाशीय बिजली गिरने की स्थिति क्या होती है। इस पर चर्चा आवश्यक है। भारतीय रेलवे के ये सुरक्षा उपाय न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

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बल्कि ये भी दर्शाते हैं कि कैसे आधुनिक तकनीक और सावधानीपूर्वक नियोजित सुरक्षा प्रणालियों का उपयोग करके प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इससे यह भी पता चलता है कि भारतीय रेलवे किस प्रकार अपने यात्रियों की सुरक्षा और संतुष्टि को प्राथमिकता देती है।

आकाशीय बिजली और इसकी तीव्रता

आकाशीय बिजली जो कि प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली एक शक्तिशाली इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज है। इसमें 30 करोड़ से लेकर 30 हजार करोड़ एम्पियर तक की शक्ति हो सकती है।

इसकी तुलना में भारतीय रेलवे में इस्तेमाल होने वाली बिजली मात्र 25 हजार वोल्ट की होती है। इतनी अधिक शक्ति वाली बिजली जब ट्रेन पर गिरती है, तो इसका प्रभाव क्या होता है। यह एक जानने के लिए जरूरी विषय है।

ट्रेन पर गिरे बिजली क्या होता है?

भारत में बारिश और तूफान के बावजूद ट्रेनों का संचालन जारी रहता है। अगर आकाशीय बिजली चलती ट्रेन पर गिर जाए, तो आमतौर पर यह बिजली ट्रेन की बाहरी मेटल बॉडी से होकर पटरियों तक पहुंचती है और फिर जमीन में समा जाती है।

भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेन की बाहरी बॉडी को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि वह विद्युत को अपने अंदर से गुजारते हुए पटरियों में और पटरियों से अर्थिंग डिवाइस तक पहुँचाती है। जिससे यात्रियों को करंट का अहसास नहीं होता है।

रेलवे की सुरक्षा उपाय

भारतीय रेलवे ने बारिश के मौसम में ट्रेनों की सुरक्षा के लिए कई उपाय किए हैं। बारिश के दौरान जब आकाशीय बिजली का खतरा होता है, तो ट्रेनों के रूट को डाइवर्ट किया जा सकता है या उन्हें रोक दिया जाता है। इसके अलावा ट्रैक पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर अर्थिंग डिवाइस इंस्टॉल किए गए हैं ताकि बिजली के प्रभाव को कम किया जा सके।