शराब की 1000 रुपए वाली बोत्तल की बिक्री पर सरकार को कितनी होती है कमाई, जाने कितना लिया जाता है टैक्स
भारत में विभिन्न राज्य सरकारें आबकारी कर के माध्यम से मोटी रकम कमाती हैं। विशेषकर शराब पर लगने वाले राजस्व कर का योगदान उल्लेखनीय होता है। जो कि अधिकतर राज्यों में कुल राजस्व का 15 से 30 प्रतिशत तक होता है। इससे पता चलता है कि शराब पर लगाया जाने वाला कर राज्य की आय के महत्वपूर्ण स्त्रोतों में से एक है।
शराब पर लगने वाले करों की भूमिका और उनके प्रभाव को समझना सरकारी नीति निर्माण के लिए अनिवार्य है। जैसे-जैसे समाज में बदलाव आता है। इन कर नियमों में भी संशोधन की आवश्यकता पड़ सकती है ताकि ये और अधिक प्रभावी और जनहित में हो सकें।
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राज्यों की आय में शराब कर का योगदान
सरकारी रिपोर्ट्स और विश्लेषणों के अनुसार शराब पर लगने वाले कर से राज्यों को होने वाली आय काफी प्रभावशाली है। उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में आबकारी शुल्क से लगभग 41,250 करोड़ रुपए की आमदनी की थी। यह आंकड़ा दर्शाता है कि शराब पर लगाया गया कर राज्य सरकारों के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
शराब पर लगने वाला कर और उपभोक्ता पर प्रभाव
शराब पर लगने वाला कर विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे एक्साइज ड्यूटी, वैट, स्पेशल सेस और अन्य शुल्क जो ट्रांसपोर्ट और लेबल रजिस्ट्रेशन पर लगते हैं। ये कर न केवल शराब की कीमतों को बढ़ाते हैं।
बल्कि उपभोक्ता की जेब पर भी भारी पड़ते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप एक हजार रुपए की शराब की बोतल खरीदते हैं। तो उसमें से 350 से 500 रुपए तक विभिन्न प्रकार के करों के रूप में सरकार को चले जाते हैं।
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नीति निर्धारण में शराब कर का महत्व
यह समझना महत्वपूर्ण है कि शराब पर लगने वाले कर राज्य सरकारों की नीति निर्धारण प्रक्रिया में कैसे योगदान देते हैं। ये कर न केवल राज्यों की आर्थिक स्थिरता में मदद करते हैं बल्कि सामाजिक नीतियों में भी प्रभाव डालते हैं। शराब पर उच्च कर लगाकर सरकारें इसके उपभोग को कम करने का प्रयास करती हैं। जिससे स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याओं पर नियंत्रण पाया जा सके।