सेना में ड्यूटी करने वाले कुत्तों को कितनी मिलती है सैलरी, रिटायरमेंट के बाद इन कुत्तों के साथ क्या किया जाता है
भारतीय सेना में कुत्तों का महत्व सदियों से रहा है। इनकी सूझबूझ, निष्ठा और साहस के कारण वे केवल एक जानवर नहीं बल्कि एक अभिन्न सहयोगी के रूप में सेना में शामिल होते हैं। आइए इस लेख में हम उनकी सेवा, सैलरी और रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी पर एक विस्तृत नज़र डालते हैं।
भारतीय सेना में कुत्तों का योगदान अमूल्य है। वे न केवल विश्वसनीय सहयोगी होते हैं बल्कि उनकी बहादुरी और समर्पण भी सराहनीय है। उनका जीवन और सेवा हमें सिखाती है कि वफादारी और साहस की कोई सीमा नहीं होती, चाहे वो इंसान हो या जानवर। इन बहादुर कुत्तों की कहानियाँ हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।
सेना में कुत्तों की भूमिका
भारतीय सेना में फिलहाल 25 से अधिक पूर्ण डॉग यूनिट्स और 2 आधे यूनिट्स हैं, जहाँ प्रत्येक पूर्ण यूनिट में 24 कुत्ते होते हैं और हाफ यूनिट में 12। इन कुत्तों की भूमिका विविध होती है - नशीले पदार्थों का पता लगाने से लेकर, विस्फोटकों की खोज, आतंकियों का पीछा और बचाव अभियानों में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
सैलरी और देखभाल
कुत्तों को सेना में भर्ती के बाद कोई नकद वेतन नहीं मिलता, लेकिन उनके खानपान और रख-रखाव का पूरा ख्याल रखा जाता है। उनके हैंडलर न केवल उनकी सेहत और स्वच्छता का ध्यान रखते हैं बल्कि विभिन्न मिशनों में उनका मार्गदर्शन भी करते हैं।
एक सम्मानजनक रिटायरमेंट
कुत्ते अपनी सेवाओं के 10 से 12 साल बाद सेवानिवृत्त होते हैं। पहले अनफिट होने पर इन्हें मार दिया जाता था, लेकिन 2015 में नीति में परिवर्तन के बाद, इन्हें सम्मानजनक रिटायरमेंट दिया जाता है। अब ये रिटायर कुत्ते इच्छुक लोगों द्वारा गोद लिए जा सकते हैं, जो इनकी जिम्मेदारी लेने के लिए एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर करते हैं।
कुत्तों की प्रशिक्षण यात्रा
इन कुत्तों का मुख्य प्रशिक्षण मेरठ के रिमाउंट एंड वेटेरिनरी कॉर्प्स सेंटर एंड कॉलेज में होता है, जहाँ उन्हें विशेष कौशल और क्षमताओं के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यहाँ उन्हें कम से कम 10 महीने का प्रशिक्षण प्राप्त होता है, जिससे वे अपने कर्तव्यों को बखूबी निभा सकें।