हाईटेंशन तारों में कितने वोल्टेज का होता है करंट, क्या सच में इसके नीचे से निकलना नही है खतरें से खाली
स्विट्जरलैंड की खूबसूरत वादियों के बीच एक ऐसा मुद्दा है जो अक्सर चर्चा का विषय बनता है हाई टेंशन तार। हाल ही में मेरठ में हुए एक दर्दनाक हादसे ने इस विषय को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। आइए इस आर्टिकल में हम आपको हाई टेंशन तार से जुड़ी कुछ बातों के बारे में बताने जा रहे है।
स्विट्जरलैंड की खूबसूरत वादियों के बीच एक ऐसा मुद्दा है जो अक्सर चर्चा का विषय बनता है हाई टेंशन तार। हाल ही में मेरठ में हुए एक दर्दनाक हादसे ने इस विषय को फिर से सुर्खियों में ला दिया है। आइए इस आर्टिकल में हम आपको हाई टेंशन तार से जुड़ी कुछ बातों के बारे में बताने जा रहे है।
इलेक्ट्रिक फील्ड की वजह से होने वाले हादसे
हाई टेंशन तारों के आस-पास बनने वाले इलेक्ट्रिक फील्ड की वजह से अक्सर हादसे होते हैं। ये तारें अपने आस-पास एक शक्तिशाली इलेक्ट्रिक फील्ड उत्पन्न करती हैं, जिसकी वजह से हवा में भी करंट का प्रवाह हो सकता है। विशेषकर बारिश के मौसम में जब हवा में नमी होती है तो इलेक्ट्रिक फील्ड का प्रसार और भी अधिक हो जाता है जिससे हादसे की संभावना बढ़ जाती है।
हाई टेंशन तारों की ऊंचाई और खंभों का महत्व
हाई टेंशन तारों के खंभे की ऊंचाई इसमें प्रवाहित होने वाले करंट की मात्रा, भूगोल और अन्य कई कारकों के आधार पर निर्धारित की जाती है। यह ऊंचाई आमतौर पर 8 मीटर से लेकर 50 मीटर तक होती है। इसका मुख्य उद्देश्य इलेक्ट्रिक फील्ड के प्रसार को सीमित करना और सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
करंट की स्पीड और खतरा
हाई टेंशन तारों में प्रवाहित करंट की मात्रा अत्यंत अधिक होती है, जो 400 केवी से लेकर 800 केवी तक हो सकती है। इस तरह के उच्च वोल्टेज की वजह से, इन तारों के संपर्क में आने से गंभीर चोटें या मृत्यु हो सकती है।
सुरक्षा उपाय और जागरूकता
हाई टेंशन तारों के संबंध में सुरक्षा उपायों और जागरूकता का प्रसार अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकारी और निजी संस्थानों को इस विषय पर शिक्षा और जानकारी प्रदान करने के प्रयास करने चाहिए। इसके साथ ही, उचित साइनबोर्ड्स और चेतावनी संकेतों का उपयोग करना चाहिए ताकि लोगों को इन तारों के खतरों के प्रति सचेत किया जा सके।