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शराब के शौकीन लोग गुरुग्राम में चिल करने का सोच रहे है तो सावधान, नई शराब नीति कर सकती है आपकी जेब ढीली

हरियाणा सरकार ने 2024-25 के लिए नई आबकारी नीति की घोषणा की है, जो जून से प्रभावी होगी। इस नीति के अंतर्गत पब और बार में शराब पीना महंगा हो जाएगा। यह नीति आदर्श आचार संहिता के हटने के बाद लागू की जाएगी।
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liquor policy haryana
   

हरियाणा सरकार ने 2024-25 के लिए नई आबकारी नीति की घोषणा की है, जो जून से प्रभावी होगी। इस नीति के अंतर्गत पब और बार में शराब पीना महंगा हो जाएगा। यह नीति आदर्श आचार संहिता के हटने के बाद लागू की जाएगी। नीति में किए गए मुख्य परिवर्तनों में बेस लाइसेंस फीस और कारोबारी घंटों में बदलाव शामिल हैं।

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ये परिवर्तन बार की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेंगे और ग्राहकों की जेब पर भी असर डालेंगे।  इस नई नीति का असर देखने के लिए अगले कुछ महीने निर्णायक होंगे। जिसमें यह स्पष्ट होगा कि व्यवसायिक जगत और उपभोक्ता इस बदलाव को किस प्रकार से स्वीकार करते हैं।

बढ़ी हुई लाइसेंस फीस और घटे हुए कारोबारी घंटे

नई नीति के अनुसार बार और पब के लिए वार्षिक लाइसेंस शुल्क में वृद्धि की गई है। पहले जहां 16 लाख रुपये वार्षिक शुल्क था। वह अब 20 लाख रुपये हो गया है। इसके अलावा जो बार 2 बजे तक व्यवसाय के लिए खुले रहना चाहते हैं।

उन्हें अब अतिरिक्त 20 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। जिससे उनकी कुल लाइसेंस फीस 40 लाख रुपये हो जाएगी। यह वृद्धि बार मालिकों के लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ साबित हो सकती है।

बार मालिकों की प्रतिक्रिया और चिंताएं

बार और रेस्तरां मालिकों ने चेतावनी दी है कि नई नीति शहर की नाइटलाइफ के लिए हानिकारक होगी। नई नीति से मनोरंजन केंद्रों में शाम के समय मूड खराब हो सकता है। खासकर जब वे दिल्ली के एरोसिटी जैसे प्रतिस्पर्धी केंद्रों के साथ मुकाबला कर रहे हैं।

बार मालिकों का मानना है कि यह नीति न केवल उनके व्यावसायिक हितों को प्रभावित करेगी बल्कि ग्राहकों की संख्या में भी कमी लाएगी क्योंकि उच्च लागत उन्हें अन्य स्थलों की ओर मोड़ सकती है।

विशेषज्ञों का सुझाव

विशेषज्ञों का सुझाव है कि सरकार को चाहिए कि वे ऐसी नीतियों का सृजन करें जो व्यवसायों के लिए सहायक सिद्ध हों न कि उन पर बोझ बनें। आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि ज्यादा टैक्स और शुल्क व्यवसायों को प्रोत्साहित करने के बजाय उन्हें हतोत्साहित कर सकते हैं। जिससे अंततः राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।