ट्रेन लेट होती है तब ट्रेन ड्राइवर स्पीड बढ़ाकर क्यों नही करता टाइम की भरपाई, वजह भी आपको जरुर पता होनी चाहिए
भारतीय रेलवे को देश की जीवन रेखा कहा जाता है। जिसके बिना लोगों का दैनिक जीवन संभव नहीं प्रतीत होता। इस विशाल रेलवे नेटवर्क के माध्यम से लाखों यात्री प्रतिदिन देश के एक कोने से दूसरे कोने तक यात्रा करते हैं। हालांकि यात्री अक्सर लंबे रूट की ट्रेनों की देरी का सामना करते हैं। खासकर सर्दी के मौसम में जब ट्रेनें और भी अधिक विलंब से चलती हैं।
ट्रेनों का समय पर न चल पाना विभिन्न तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से होता है। इन कारणों की समझ यात्रियों को उनकी यात्रा के दौरान उत्पन्न होने वाली असुविधाओं के प्रति अधिक सहिष्णु बना सकती है। इसलिए भारतीय रेलवे और यात्रियों के बीच आपसी समझ और सहयोग इस विषय में बेहद महत्वपूर्ण है।
सर्दियों में ट्रेनों का अत्यधिक विलंब
सामान्य दिनों में जहां ट्रेनें 15 मिनट से लेकर आधा घंटा तक विलंबित हो सकती हैं। वहीं सर्दियों में यह विलंब बढ़कर पांच घंटे तक भी हो सकता है। यह समस्या अक्सर यात्रियों को परेशान करती है और उनके मन में यह सवाल उठता है कि ट्रेन एक बार लेट होने के बाद आगे भी देरी से क्यों चलती है?
सोशल मीडिया पर उठे सवाल और उनके जवाब
इस विषय पर सोशल मीडिया पर भी चर्चा होती रही है। जहां लोग यह जानना चाहते हैं कि लोको पायलट ट्रेन की स्पीड बढ़ाकर विलंब को क्यों नहीं कवर करता। इसका उत्तर यह है कि ट्रेन का लोको पायलट ट्रैक पर पहले से निर्धारित स्पीड लिमिट का पालन करता है। अगर वह स्पीड लिमिट का उल्लंघन करता है, तो उस पर रेलवे की ओर से कार्रवाई की जा सकती है।
रेलवे जोन और उनकी प्राथमिकताएं
एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि रेलवे जोन कई ट्रेनों के संचालन का जिम्मा संभालता है और अगर दूसरे जोन की ट्रेन विलंब से पहुंचती है, तो प्रथमिकता उसी जोन की ट्रेन को दी जाती है। यही नहीं चल रहे मौसम, मरम्मत कार्य, सिग्नल की समस्याएं और दुर्घटनाएं भी ट्रेनों के लेट होने के प्रमुख कारण होते हैं।