होटल में कमरा बुक करवाया है तो भूलकर भी मत खाना ये चीज, नोर्मल बर्फ से भी 40 गुना ठंडी होती है ये चीज
आज के समय में जहां रेस्टोरेंट और होटल अपनी सेवाओं को अधिक आकर्षक बनाने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं वहीं ड्राई आइस (Dry Ice) का उपयोग भी इनमें से एक है। यह न केवल खाने और पेय पदार्थों को दिलचस्प बनाता है बल्कि ग्राहकों के लिए एक अनूठा अनुभव भी प्रदान करता है। हालांकि इसके साथ स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी जुड़े होते हैं।
ड्राई आइस का इतिहास
ड्राई आइस, वास्तव में, कार्बन डाइऑक्साइड का ठोस रूप है, जिसका तापमान अत्यधिक निम्न होता है, लगभग -80 डिग्री सेल्सियस। इसकी यह विशेषता इसे खाद्य पदार्थों और चिकित्सीय सामग्रियों के संरक्षण के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाती है। इसके अलावा, इसका इस्तेमाल विशेष प्रभाव (special effects) पैदा करने के लिए भी किया जाता है।
ड्राई आइस का निर्माण प्रोसेस
कार्बन डाइऑक्साइड को उच्च दबाव में संकुचित कर और फिर अचानक दबाव को कम करके इसे ठोस रूप में परिवर्तित किया जाता है। यह प्रक्रिया कार्बन डाइऑक्साइड को सीधे गैस से ठोस में बदल देती है, जिसे 'सब्लिमेशन' कहा जाता है।
स्वास्थ्य पर ड्राई आइस का असर
जैसा कि राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के इंटरनल मेडिसिन हेड प्रोफेसर डॉ. रामबाबू ने समझाया, ड्राई आइस के संपर्क में आने से त्वचा पर फ्रॉस्टबाईट जैसी समस्याएं हो सकती हैं, और इसे निगलने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह न केवल मुंह और आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को भी बढ़ा सकता है, जो जीवन के लिए घातक हो सकता है।
ड्राई आइस के सुरक्षित उपयोग
ड्राई आइस के उपयोग के समय सुरक्षा उपायों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे सीधे त्वचा से संपर्क में न आने देना, उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करना, और इसे मुंह में न डालना जैसे नियमों का पालन करना चाहिए।